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________________ संख्या ५]. भारतीय बीमा व्यवसाय की प्रगति पूँजी का उपयोग भारतीय बीमा कम्पनियों की इस समय ३५ करोड़ से ऊपर पूँजी सरकारी सिक्यूरिटीज़ में जमा है । यह पूँजी इस समय चल है और इसका उपयोग देश के व्यवसाय तथा उद्योग-धन्धों के बढ़ाने में कुछ नहीं हो रहा है । इसके मुकाबले में विदेशी कम्पनियों की पूँजी का विनियोग तद्देशीय उद्योग-धन्धों को बढ़ाने में होता है । यहाँ बहुत से कार्य पूँजी के अभाव में रुके पड़े हैं। कराची से बम्बई तक रेल बनाने का काम पूँजी के बिना रुका पड़ा है। दूसरी ओर सरकार के पास जमा कराने से सूद श्राज-कल कम होता जाता है । इसलिए ज़रूरत इस बात की है कि बीमा कम्पनियों को अपनी पूँजी का कुछ भाग देश के उद्योग-धन्धों और व्यवसाय में लगाने की इजाज़त दी जाय । इससे जहाँ बीमा कम्पनियों को लाभ होगा, वहाँ देश के श्रार्थिक जीवन को भी बल मिलेगा । बीमा कम्पनियाँ म्युनिसिपैलिटियों के सहयोग से ग़रीब लोगों के लिए मकान बनाने का काम अपने हाथ में ले सकती हैं। दिल्ली की घनी बस्ती की समस्या सरकार को इस समय परेशान कर रही है। किरायेदार किराये की ऊँची रेट देखकर दङ्ग हैं। बीमा कम्पनियाँ इस कार्य में जनता और सरकार दोनों के लिए अपनी पूँजी से सहायक हो सकती हैं । दुःख है कि नये बिल में इसकी कोई व्यवस्था नहीं रखी गई है । आशा है, सिलेक्ट कमिटी इस अभाव को दूर कर देगी । युवकों के लिए बीमा व्यवसाय अभी बचपन में है और शहरों तक कवि बहुत गा चुके मधुर गीत, उन मधुर मिलन के, मधुर गीत अब हृदय तत्रि के तार छेड़ कवि गा दुखियों के आह गीत । वे मधुर गीत, ये ग्राह गीत कवि दोनां ही हैं देख गीत Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat सीमित है । गाँवों की तो बात दूर रही, बड़े बड़े कस्बों तक भी नहीं पहुँचा है । इस व्यवसाय को गाँवों तक पहुँचाने के लिए यह ज़रूरी है कि यदि एक परिवार के दो या तीन व्यक्ति एक ही कम्पनी में बीमा करावें तो उन्हें प्रीमियम में कम से कम पाँच प्रतिशत छूट दी जाय। नवीन बिल इस विषय में सर्वथा चुप है । मगर व्यवसाय के विस्तार और लाभ की दृष्टि से यह आवश्यक है । कवि गा दुखियों के प्राह गोत लेखक, श्रीयुत मित्तल यह व्यवसाय युवकों की बेकारी बहुत अंशों में दूर करने में सहायक हुआ है । यह तो एक प्रकट रहस्य है। कि १९२२ के बाद असहयोग आन्दोलन स्थगित होने पर बहुत-से वकीलों और नेताओं को इसी व्यवसाय ने अवलम्ब दिया है और जीविका से निश्चिन्त कर दिया है । कुछ को तो इस व्यवसाय ने अमीरों की श्रेणी में पहुँचा दिया है । यह व्यवसाय कितना लाभप्रद है, यह इसी से जाना जा सकता है कि भारत की बड़ी चार बीमा कम्पनियों ने अपने एजेण्टों को इस प्रकार कमीशन दिया हैरुपये सन् १९३० १९३१ १९३२ ४५३ २८,२६,१८० २७,५१, ३७१ २८,९६,९९१ १९३३ ३३,०४,१८४ इससे स्पष्ट है कि इस व्यवसाय में उत्साही, परिश्रमी, चतुर युवकों के लिए बहुत क्षेत्र खुला हुआ है । श्राशा है, बेरोजगारी के कारण इधर-उधर भटकनेवाले युवक अपने भाग्य की परीक्षा इस लाइन में भी करेंगे । उनसे भरता वैभव अपार इनसे बहते आँसू पुनीत । कवि गादुखियों के रुदन गीतजिनके नन्हें नन्हें बालकरोटी को उठते चीख, चीन कवि गा अब ऐसे आह गीत www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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