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संख्या ५]
'भारतीय बीमा व्यवसाय की प्रगति
४४९
बीमा की वार्षिक उत्पन्न
(करोड़ रु.) (करोड़ रु.)
४.२५
१९३४ में २७ नई कम्पनियाँ खुली जिनका प्रान्तवार के चालू काम का नीचे दिया ब्योरा और अधिक स्पष्ट विवरण इस प्रकार है
करता हैबम्बई ५ पंजाब ७ मदरास ६
चालू काम पिछले पांच सालों में १०० नई बीमा-कम्पनियाँ खुली, मगर काम न मिलने के कारण १३ को अपना काम-काज बीमा-पत्रकों की संख्या रकम समेट लेना पड़ा। नवीन काम
भारतीय ५.५४ लाख १०२ देशी और विदेशी बीमा-कम्पनियाँ किस प्रकार और १२ विदेशी २.२० " ७६ कितना काम करती हैं. यह नीचे के कोष्ठक से मालूम होगा। १९३३ भारतीय ६.३६ " ११४ ५.३३ इससे यह भी मालूम होगा कि देशी कम्पनियों की अपेक्षा
(भारतीय ७°४२ " १३२ विदेशी कम्पनियाँ कितना आगे बढ़ी हुई हैं और किस १२ । विदेशी २.४५, ८४ ४५० प्रकार इस देश का रुपया विदेश ले जा रही है।
इसका अर्थ है कि प्रतिवर्ष ४ करोड ५० लाख और बीमा-पत्रकों की बीमा की सप्ताह का प्रत्येक पालिसी प्रतिमास ३७ लाख और प्रतिदिन सवा लाख रुपया इस रक्रम उत्पन्न की औसतन
देश से विदेशों को बीमा के रूप में जाता है। संख्या (करोड़ रु.) (करोड़ रु०) किस्त रुपये
पर हमने जीवन-बीमा के कार्य का उल्लेख किया १९३२
है । इतर बीमा के धंधों की प्रगति निम्न कोष्ठक से मालूम भारतीय कम्पनी
होगी१,१३,००० १९०६ १ १,६७४
(रुपये लाखों में) परदेशी कम्पनी
१९३२ १९३३ १६३४
भारतीय विदेशी भारतीय विदेशी भारतीय विदेशी कुल १,३९,००० २७६६ १६
आग का भारतीय कम्पनी
प्रीमियम २९ ९७ ३१ ९७ ३० १०५
दुघटना और १,५५,००५ २४००
१,५५५ विदेशी कम्पनी
विविध २८ ४८ ५८ ४७ १७ ५१ ३,१२६
सामुद्रिक ८ ३६ ९ ३५ ७ २,८०००
३७ ।।
योग सामान्य कुल १,८३,००० ३३.०० १७५
प्रीमियम ६५ १८१ ७२ १७९ ५४ १९३ १९३४ भारतीय कम्पनी
इससे स्पष्ट है कि भारतीय कम्पनियाँ इस दिशा में १,८३,००० २८०० १५०
विदेशी कम्पनियों से पीछे ही नहीं हैं, बल्कि उन्होंने १९३३ विदेशी कम्पनी
में प्राप्त किया बाज़ार भी १९३४ में खो दिया है । सब अोर - ३२,००० १७.०० ५० ३,२१३ देशी कम्पनियों की श्रामदनी घटी है। इसका अर्थ है कि कुल २,१५,००० ३८०० २.००
विदेशी कम्पनियों से मुकाबिला अभी बहुत ज़बर्दस्त है और ___ इससे स्पष्ट है कि इस व्यवसाय में भी बाज़ार विदेशी भारतीय कम्पनियों के पैर अभी जीवन-बीमा के समान कम्पनियों के अधीन है। मक्खन और मलाई विदेशी इधर जमे नहीं हैं। कम्पनियाँ ले जाती हैं, और भारतीय कम्पनियों को छाछ यह चित्र निराशाजनक मालूम होता है। मगर जब से ही सन्तोष करना पड़ता है । इस बात को बीमा-कम्पनियों हम पिछले २५ साल की प्रगति को देखते हैं तब कहना
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