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________________ संख्या ३] सामयिक साहित्य २९९ क्योंकि उनका प्रदर्शन का कार्य बहुत ही सफल हुअा है। प्रदर्शनी के शिक्षा सम्बन्धी कोर्ट का मैं विशेष रूप से जिक्र करूँगा। अब तक मैंने इस देश में जितने शिक्षा सम्बन्धी कोर्ट देखे हैं उनमें वह सबसे अच्छा है । जिन लोगों ने को-आपरेटिव विभाग का दर्शन किया है उनका कहना है कि यह विभाग भी बहुत ही शिक्षाप्रद है। दुर्भाग्यवश मुझे को-आपरेटिव विभाग में जाने का अवसर नहीं मिला, किन्तु मैं अपने मित्रों की बतलाई हुई बात पर विश्वास कर सकता हूँ। सन् १९१० में भारतवर्ष में लखनऊ की प्रदर्शनी में ग्रेहाउन्ड कुत्तों की दौड़ एक अभूतपूर्व वस्तु थी। को आपरेटिव अान्दोलन प्रारम्भ इस चित्र में कुत्त दौड़ के लिए तैयार हो रहे हैं ।] हुए केवल छः वर्ष हुए थे और उसके महत्व को लोग मुश्किल से समझ पाये थे। ने बड़ी सफलता प्राप्त की है। यह बड़ी प्रशंसनीय बात दुर्भाग्यवश अाज भी यह बात सत्य है कि सहयोग-समिति- है कि को-पापरेटिव-अान्दोलन सम्बन्धी कार्यों की सफलता अान्दोलन अब तक उतनी तरक्की नहीं कर सका है, जितनी को प्रदर्शनी में उचित महत्त्व दिया गया है। उसे करनी चाहिए थी। फिर भी यह मानने से इनकार अब मैं फिर शिना-सम्बन्धी कोर्ट का ज़िक्र करूँगा। नहीं किया जा सकता कि गत २५ वर्षों में इस अान्दोलन मैंने इस कोट को इतना मनोरंजक तथा शिक्षाप्रद पाया कि मुझे यह जान कर बड़ा शोक हुअा कि सरकारी तथा गैर सरकारी शिक्षा-संस्थानों के अधिकारियों ने प्रदर्शनी के इस भाग का निरीक्षण करने के लिए अपने छात्रों को शिक्षकों के साथ भेजने का प्रबन्ध नहीं किया है। इस कार्ड में दीवारों पर अनेक नकशे टॅगे हुए हैं । किसी नशे में यह दिखलाया गया है कि संसार के विभिन्न देशों में कितने प्रतिशत व्यक्ति शिक्षित हैं; किसी में यह दिखलाया गया है कि विभिन्न देशों में प्रतिवर्ष कितने व्यक्तियों की मृत्यु होती है; और किसी में यह दिखलाया गया है कि प्रत्येक देश शिक्षा और फ़ौज पर लखनऊ-प्रदर्शनी के भीतर सैर करनेवालों के मज़े के कितने रुपये खर्च करता है । जिस नकशे में विभिन्न देशों लिए एक छोटी रेलगाड़ी चलाई गई थी। पर उसके के शिक्षितों की संख्या दिखाई गई है उसमें भारतवर्ष का इजिन के विगड़ जाने से एक मोटर से इंजिन का काम स्थान सबसे नीचे है। मृत्यु के नशे में उसका स्थान लिया गया।] सबसे ऊँचा है। शिक्षा पर रुपये खर्च करने के सम्बन्ध में Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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