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संख्या २१
सम्पादकीय नोट
... नानकिंग आकर च्यांग कै-शेक ने अपने पद से त्याग- भाई परमानन्द ने इस बात का प्रयत्न किया था कि "पत्र दे दिया, परन्तु वह स्वीकार नहीं किया गया। इससे संयुक्तप्रान्त, बिहार, बंगाल आदि में भी हिन्दू-सभा कांग्रेस . प्रकट होता है कि उनकी चीन में कितनी भारी प्रतिपत्ति का विरोध करे, परन्तु वे अपने प्रयत्न में नहीं सफल हुए। है। इधर चंग स्यूह-लिंग ने सरकार को लिखकर अपना पंजाब के सिवा महाराष्ट्र में डेमाक्रेटिक स्वराज्य पार्टी और अपराध स्वीकार किया और उचित दण्ड दिये जाने की मदरास में जस्टिस पार्टी ने भी कांग्रेस के विरोध में अपने मांग की। इस सम्बन्ध में इन दोनों व्यक्तियों के जो बयान उम्मेदवार खड़े किये हैं और हाल में मध्य प्रान्त में डाक्टर पत्रों में प्रकाशित हुए हैं उनसे प्रकट होता है कि चीन में मुंजे भी कांग्रेस का विरोध करने को मैदान में कूद पड़े हैं। राष्ट्रीय भावना का कितना प्राबल्य है। इस घटना के इधर संयुक्तप्रान्त में एग्रीकल्चरिस्ट पार्टी के नाम से वहाँ के कारण जहाँ चीन सर्वनाश के लिए कमर कस चुका था, भूस्वामी कांग्रेस और लीग दोनों का व्यवस्थित रूप से विरोध वहाँ एकाएक उसका इस तरह शान्तिपूर्वक निपटारा हो कर रहे हैं । इनके सिवा प्रायः सभी प्रान्तों में अनेक स्थानों जाना क्या यह नहीं प्रकट करता है कि चीन बहुत अधिक से स्वतन्त्र उम्मेदवार केवल अपने बल पर कांग्रेस का जाग गया है और अब वह ऐसा कोई कार्य नहीं करेगा विरोध करने को खड़े हुए हैं। इसी प्रकार मुस्लिम लीग जिससे उसकी राष्ट्रीय शक्ति निर्बल पड़े। वास्तव में का पंजाब में यूनीयनिस्ट दल से, सीमाप्रान्त में कांग्रेस इस घटना के इस तरह शान्तिपूर्वक समाप्त हो जाने से से, संयुक्तप्रान्त में एग्रीकल्चरिस्ट पार्टी से, बंगाल में चीन के गौरव और उसकी शक्ति में अपार वृद्धि हुई है। प्रजा-पार्टी से, मध्यप्रान्त में एक नये मुस्लिम राष्ट्रीय दल. और आश्चर्य नहीं है कि इसका प्रभाव जापान पर भी पड़े से भिड़ाभिड़ी है। कांग्रेस का सब कहीं अधिक प्रभाव ही और वह भी इससे कुछ शिक्षा ले । जापान की जो लोभ- नहीं, व्यापक प्रचार भी है। अतएव कांग्रेस का विरोध दृष्टि चीन पर है उससे सारा चीन जापान से कहाँ तक करने में न तो हिन्दू सभा सफल होगी, न एग्रीकल्चरिस्ट असन्तुष्ट है, इसका घटना से अच्छा परिचय मिल पार्टी और न स्वतन्त्र उम्मेदवार ही। इसका कारण यह है जाता है।
कि इनमें कोई भी संस्था न तो उतना संगठित है. न चाहे जो हो, चंग स्युह लियांग के इस विद्रोह से चीन लोकमत का ही वैसा बल प्राप्त है । ऐसी दशा में कांग्रेस की में राष्ट्रीय सरकार एवं उसके प्रधान सूत्रधार च्यांग कै-शेक जीत निश्चित है और सभी प्रान्तों की असेम्बलियों में की प्रतिष्ठा की बहुत अधिक वृद्धि हुई है और अब यही उसका बहुमत रहेगा। आशा है कि जिस नीति से राष्ट्रीय सरकार शासन-चक्र परन्तु कांग्रेस की तरह मुस्लिम लीग का कदाचित् का परिचालन कर रही है उसका जनता में और भी सफलता नहीं प्राप्त होगी। सीमाप्रान्त में और पंजाब में अधिक स्वागत होगा, जिससे सरकार को अपने राष्ट्र- उसके उम्मेदवार नहीं जीत सकेंगे और शायद यही हाल सुधार के कार्य में और भी अधिक सफलता मिलेगी। बंगाल और मध्यप्रान्त में भी होगा। इसका कारण यह है इससे चीन का अभ्युदय ही होगा।
कि मुस्लिम लीग हिन्दू.सभा जैसी ही एक निर्बल संस्था है। उसके पीछे लोकमत का प्रभाव नहीं, किन्तु व्यक्तियों
का बल है। नये शासन-सुधारों के अनुसार जो यह नया
. निर्वाचन हो रहा है उसमें कांग्रेस के भाग लेने से सारे देश नया निर्वाचन
में बड़ी चहल-पहल मची हुई है और कांग्रेस के नेताओं प्रान्तीय असेम्बलियों का निर्वाचन-संग्राम शुरू हो का इस सम्बन्ध में जो स्वागत-सत्कार हो रहा है उससे गया है। इसमें कांग्रेस और मुसलिम लीग-यही दो प्रकट होता है कि देश की जनता सदा की भाँति कांग्रेस संस्थायें हैं, जो सारे देश में निर्वाचन आन्दोलन व्यवस्था के ही साथ है। । के साथ कर रही हैं। कांग्रेस का विरोध पंजाब में हिन्दूसभा के नाम से हो रहा है। हिन्दू-सभा के नेता श्रीयुत
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