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सम्पादकीय नोट
संसार की अन्तर्राष्ट्रीय स्थिति कार्यवाहियों से अपने को असाधारण व्यक्ति प्रमाणित किया योरप की राजनैतिक अवस्था दिन-प्रतिदिन बिगड़ती है । यदि इनके समय में मुसलमानों में एकता का भाव जा रही है । आपसी फूट के कारण वहाँ के राष्ट्र निर्बल पड़ ज़ोर पकड़ जाय तो कोई आश्चर्य नहीं । तुर्की में कमाल ने गये हैं, और किसी समय सारे संसार पर योरप की जो धाक और ईरान में रज़ाशाह ने राष्ट्र-निर्माण का जो महत् कार्य थी और कहीं कोई चूँ तक नहीं कर सकता वह अाज नाम को किया है उसका सभी मुसलमान देशों पर काफ़ी प्रभाव भी नहीं रह गई है। यह इसी का परिणाम है कि एशिया के पड़ा है। ऐसी दशा में ये चार ही क्यों, अन्य स्वतन्त्र पूर्वी अंचल में जापान मनमानी कर रहा है और धीरे धीरे मुसलमान राज्य भी अवसर पाते ही उनके दल में मिल चीन के राज्य को हड़पता जा रहा है। मंचूरिया को चीन जाना ही अपने लिए श्रेयस्कर समझेगे। तथापि इन से उसने अलग ही कर लिया है और अब इस प्रयत्न में है मुसलमान देशों की यह सैनिक तैयारी जहाँ योरप के लिए कि उत्तरी चीन के पाँच प्रान्त भी चीन की राष्ट्रीय सरकार अाज चिन्ता का कारण है, वहाँ वह एशिया के लिए कम के कब्जे से मुक्त होकर उसके चंगुल में आ जाय ताकि वह भयावह नहीं है । और इस परिस्थति का मूल कारण योरप मंगोलिया में बेखटके होकर प्रवेश कर सके । यदि योरप के प्रमुख राष्ट्रों का निर्बल पड़ जाना है। चाहे जो हो, इस के शक्तिशाली राष्ट्रों में एकता होती तो जापान को ऐसा समय संसार में न्याय का नहीं, किन्तु लाठी का ही बोल । करने का साहस न होता और न यही प्रयत्न होता कि बाला है। एशिया के पाँच मुसलमानी राष्ट्र आत्मरक्षा के नाम पर इधर स्पेन का गृह-युद्ध धीरे-धीरे अपना भयानक रूप अपना एक पृथक् गुट बनाते। इस समय तुर्की, ईरान, प्रकट करने लगा है। यह अब एक प्रकट सत्य है कि ईराक और अफ़ग़ानिस्तान में बड़ा मेल है और वे इस बात विद्रोही पक्ष का साथ इटली और जर्मनी दे रहा है तथा स्पेन के प्रयत्न में हैं कि भविष्य के किसी अवसर के लिए वे चारों की सरकार की सहायता रूस और फ्रांस कर रहे हैं । ब्रिटेन मिल कर २० लाख सेना एकत्र कर सकें।
यद्यपि इस झमेले से दूर है, तो भी आयलैंड और स्काटलैंड उधर योरप में इटली, जर्मनी, रूस और फ्रांस अपना के नागरिक यथारुचि दोनों पक्षों में शामिल होकर युद्ध सैन्यबल पहले से ही बढ़ाये हुए हैं, और अब उनकी में भाग ले रहे हैं । इस प्रकार स्पेन का यह गृह-युद्ध एक देखा-देखी ब्रिटेन भी अपना सामरिक बल बढ़ाने में लग प्रकार से योरपीय युद्ध का रूप धारण कर गया है। और गया है। जापान पूर्वी एशिया में और अमरीका में अभी हाल में जर्मनी के जंगी बेड़े ने तो एक घटना को संयुक्त राज्य सैनिक तैयारी में पहले से ही तैयार बैठे लेकर स्पेन-सरकार के जहाज़ों की धर-पकड़ भी शुरू कर हैं। तब यदि पश्चिमी एशिया के उपर्युक्त मुसलमान दी है । जर्मनी का यह हस्तक्षेप जोखिम से भरा हुआ है, राष्ट्र भी अपना गुट बनाकर अपनी आत्मरक्षा के लिए और यदि यह मामला जल्दी न तय हो जायगा तो आश्चर्य . तैयार हो रहे हैं तो यह एक स्वाभाविक ही बात है। वे नहीं कि योरप के अन्य राष्ट्र खुल्लमखुल्ला आपस में ही न जानते हैं कि पिछले महायुद्ध में उनका तुर्क-साम्राज्य भंग लड़ने लग जायँ । हो चुका है और ईरान को व्यर्थ की कठिनाइयाँ झेलनी भूमध्य-सागर के सम्बन्ध में इटली और ब्रिटेन की जो . पड़ी हैं । अतएव वे वैसे ही भीषण प्रसंग के लिए पहले सन्धि हाल में हुई है वह अनेक दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है। से ही तैयार रहना चाहते हैं। तुर्की के भाग्यविधाता इसके फलस्वरूप तो इटली अब और भी आबधरूप से स्पेन कमाल अता तुर्क और ईरान के रज़ाशाह पहलवी ने अपनी के मामले में हस्तक्षेप कर सकेगा । और इटली तथा जर्मनी
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