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पुरस्कार विजेताओं की कुछ चिट्ठियाँ
गोकुलदास हिन्दू गर्ल्स कालेज,
. अमरोहा .. मुरादाबाद।
२४-१२-३६ ....महाशय जी वन्दे।
प्रिय महाशय जी, - मैं दो सप्ताह के लिए बाहर गई हुई थी। लौटने पर आपका भेजा हुअा प्रवेश-शुल्क पत्र प्राप्त हुआ।
आपका पत्र तथा 'सरस्वती' मिली। अपना नाम शुद्ध-पूर्ति- धन्यवाद । यद्यपि पुरस्कार अधिक नहीं है, फिर भी मुझे यह पुरस्कार विजेताओं की सूची में देखकर अत्यन्त हर्ष हुअा। जानकर सन्तोष है कि मेरा प्रथम प्रयत्न कुछ सफल हुअा। - वास्तव में व्यत्यस्त-रेखा-शब्द-पहेली निकाल कर प्रथम प्रयास में इससे अधिक आशा नहीं की जा सकती,
आपने हिन्दी पत्रिकाओं में एक रोचकता, नवीनता तथा क्योंकि अनुभव धीरे धीरे ही होता है । वर्ग ४ की शुद्ध पूर्ति पूर्णता ला दी है। इससे 'सरस्वती' में और भी दिलचस्पी देखकर यह ज्ञात हा कि उसका निर्माण बुद्धिमानी से बढ़ गई है। पाठक-पाठिकाये उत्सुकता से अागामी अंक हया है. और संकेत बिलकल शद्ध हैं। आशा है कि भविष्य के लिए प्रतीक्षा करती हैं। मनोरंजन के अतिरिक्त इससे में भी इनको शद्ध रखने का विचार सर्वोपरि रहेगा, क्योंकि
शब्द-ज्ञान भी बढ़ता है। आपके शब्द-संकेत भी बहुत संकेत शुद्ध होने से ही वर्ग-पूर्ति करने में उत्साह बढ़ता है, - उपयुक्त होते हैं, जो केवल बुद्धि के सहारे ही सुलझ जो व्यत्यस्त-रेखा-पहेली की एक अनोखी विभूति है। सकते हैं। -सावित्री देवी वर्मा, एम० ए०
...सुशीला देवी ५८, झा-होस्टल,
इलाहाबाद प्रिय महोदय, . आपका कार्ड ता० ६ दिसम्बर को मिला। अनेक
गवर्नमेंट हाई स्कूल, मथुरा धन्यवाद । आपको यह जानकर अवश्य प्रसन्नता होगी कि
३१-१२-१९३६ मैंने केवल एक ही वर्ग-पूर्ति भेजी थी और ऐसी प्रतियोगिता
श्रीमान् प्रबन्धक महोदय, जय श्रीकृष्ण, . में भाग लेने का यह मेरा पहला अवसर था। इस पर भी
__मैंने वर्ग नं० २ व ४ में पूर्तियाँ भेजी और दोनों ही मैंने १० का पुरस्कार जीता।
बार सफलता मिली। वर्ग नं. ३ में अवकाश न मिलने अङ्क-परिचय में शब्दों का संकेत अत्यन्त सावधानी
के कारण कोई पूर्ति नहीं भेजी थी। वर्ग नं० २ में चार से दिया गया है। उदाहरणार्थ-'यह कभी कभी चमक पूर्तियों में से सिर्फ एक में सफलता मिली थी, परन्तु वर्ग उठता है। इसके लिए 'नग', 'नख', 'नभ' इन तीन शब्दों नं० ४ में चार में से तीन पूर्तियों में सफलता मिली और में कौन सही होगा, यह प्रश्न हमारे सामने आता है। नग' छः रुपये के तीन पुरस्कार (४)+ १) + १)) जीते। .' सही नहीं हो सकता, क्योंकि 'कभी कभी' इसमें लागू नहीं चार रुपये मनीआर्डर से व एक एक रुपया के दो प्रवेश- .' होता । 'नख' के लिए 'चमकता है, कहना उचित नहीं शुक्ल-पत्र प्राप्त हो गये हैं। प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त फिर 'चमक उठने का भाव तो इसमें आता ही नहीं । 'नभा करना अति कठिन नहीं है। यह सिर्फ कुछ अभ्यास पर निर्भर - के लिए यह कहना कि यह कभी कभी चमक उठता है. हैं। वर्ग नं०५ के लिए भी तीन पूर्तियाँ भेजी हैं और बिलकुल सही है।
अाशा है, सफलता मिलेगी। चूँकि प्रतियोगिताओं में भाग • इसी प्रकार सम्पूर्ण वर्ग-निर्माण जिस बुद्धिमानी से लेनेवालों का अभ्यास और अनुभव बढ़ता जा रहा है,
किया गया है वह प्रशंसनीय है। पुरस्कार विजेताओं की इसलिए आप भी धीरे धीरे वर्गों की कठिनता को बढ़ाते • सूची में मेरा नाम देखकर मेरे एक दर्जन मित्रों ने वर्ग • जा रहे हैं। में पुरस्कार पाने की ठानी है।
-निहालसिंह शुक्ल, क्लर्क ५८ झा-होस्टल !
श्रापका ता० १५ दिसम्बर ।
रमेशचन्द्र तिवारी
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