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________________ वायें से दाहिने अङ्क-परिचय ऊपर से नीचे १-संसार को सँभालनेवाला। १-संसार की बढ़ती के लिए यह आवश्यक है। ४-लड़ना भी कभी किसी का......होता है। २-दानियों में श्रेष्ठ । . , ७-जहाज़ का रास्ता...... ही होता है। ३-रसीला। ८-यहाँ उलट जाने से काज बनता है। ४-मर्म। ९-यह नवीन की गड़बड़ है। ५-वह बड़ा नल जिससे अनेक छोटे नल निकलते हों। ११-ब्रज का एक बन। ६-यदि यह न हो तो विश्राम का सुख नहीं। १३-विष । १०-बड़े से बड़ा भी एक ही के सिपुर्द रहता है। १७--इसमें रस होने पर भी छलकता नहीं। १२-एक विशेष रीति से साफ़ करना । १९-कुछ लोग इसी से अपना पेट पालते हैं। १४-इसके लगने से भी रक्त बहने की नौबत आ जाती है। २०-समूह। १५-इसका अाक्रमण चुपचाप होते हुए भी बड़ा व्यापक है। २१-ब्रह्मा के पुत्र । १६-इसकी हार नहीं होती। २२-...की पूजन-विधि निराली है। १८-नई रोशनीवाले इसे अलग कर देने में नहीं हिचकते। २४-व्यापार करनेवाला। १९-बहुत कमज़ोर या पतला। २५-इसका उद्देश्य ही नीच है। २१-अमूल्य रत्न । २६-यह अोषधि के काम में आती है। २३-माल-मसाला जितना लगेगा उतना ही यह अधिक व २७-इससे सफ़ाई की जाती है। बढ़िया होगा। २८-बढ़िया गानेवाले की कला इससे अधिक रोचक मालूम २४-इस खाद्य पदार्थ को प्राकृत दशा में बिरले ही पक्षी पड़ती है। खाते हैं। ३०-कभी-कभी शिकार में काम आती है। २७-नदी या समुद्र के किनारे थोड़ा या बहत मिलता है। २९-झोंके से उलटना इसके लिए साधारण बात है। ३१-कुछ नवयुवक ऐसा काम गुप्त रीति से करते हैं। नोट-रिक्त कोष्ठों के अक्षर मात्रा रहित और पूर्ण हैं। वर्ग नं. ६ की शुद्ध पूर्ति वर्ग नम्बर ६ की शुद्ध पूर्ति जो बंद लिफ़ाफ़े में मुहर लगाकर रख दी गई थी यहाँ दी जा रही है। पारितोषिक जीतनेवालों का नाम हम अन्यत्र प्रकाशित कर रहे हैं । अपनी याददाश्त के लिए वर्ग ७ की पूर्तियों की नकल यहाँ पर कर लीजिए। __ और इसे निर्णय प्रकाशित होने तक अपने पास रखिए। FREE: NE Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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