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________________ १०४ सरस्वती [भाग ३८ के दो व्यक्ति कांग्रेस के सभापति बनाये गये हैं । (५) अपने हमारे सामने बहुत महत्त्वपूर्ण काम है। भारतीय ही प्रान्त में कांग्रेस के सभापति बनकर इन्होंने पुरानी और अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में बड़ी-बड़ी समस्याओं को हल परम्परा तोड़ी है। (६) १२ बैलों के रथ में इनका सवादा करना है । सिवाय हमारी महान् संस्था कांग्रेस के स्टेशन से जलूस निकाला गया है । इस तरह फ़ैजपुर का इनको कौन सुलझा सकता है ? क्योंकि इसी संस्था ने राष्ट्रीय महासभा का यह अधिवेशन अनेक विशेषतात्रों से पूर्ण अपने पचास साल की लगातार कोशिश और त्याग से हुअा है। परन्तु इन विशेषताओं से भी बड़ी विशेषता यह भारत के करोड़ों मनुष्यों की ओर से बोलने का अद्वितीय हुई है कि राष्ट्रपति ने अपना भाषण काफ़ी छोटा दिया है अधिकार प्राप्त कर लिया है। जो मर्मस्पर्शी और उत्साहवर्द्धक है। उसके दो महत्त्व के x x x अंश ये हैं दो साल हुए गांधी जी की ही सलाह से कांग्रेसअखिल भारतीय कांग्रेस-कमेटी के चुनाव-सम्बन्धी विधान में फिर परिवर्तन किये गये। उसमें एक बात घोषणापत्र में यह बात अच्छी तरह बता दी गई है कि हम यह हुई कि अब कांग्रेस सदस्यों की संख्या के आधार इस चुनाव की लड़ाई में क्यों ना पड़े, और किस तरह पर प्रतिनिधियों की संख्या नियत की जाती है। इस हम काम को पूरा करना चाहते हैं । मैं इस तब्दीली ने हमारे कांग्रेस-चुनाव में एक वास्तविकता व को श्रापको मंजूरी के लिए पेश करता हूँ। पैदा कर दी है और हमारे संगठन को भी मज़बूत बना इम कौंसिलों और असेम्बलियों में जो ब्रिटिश साम्राज्यवाद दिया है। लेकिन अब भी कांग्रेस की देश में जितनी के साधन हैं, सहयोग करने के लिए नहीं जा रहे हैं। हम प्रतिष्ठा और सम्मान है उसके अनुसार हमारा संगठन उसका विरोध करने और उसका अन्त करने के लिए ही अभी बहुत पीछे है और हमारी कमिटियों में साधारण काम वहाँ जा रहे हैं । जो भी हम करेंगे वह इसी नीति के करनेवालों तथा जनता से बिलकुल कटे हुए रहकर अर्थात् दायरे में महदूद होगा। धारा-सभाओं में हम विधेयात्मक हवा में काम करने की प्रवृत्ति आ गई है। मार्ग या शुष्क सुधारवाद के मार्ग का अनुसरण करने नहीं इसी कमी को दूर करने के लिए लखनऊ-कांग्रेस में जा रहे हैं। जन-साधारण का सम्पर्क (मास कान्टैक्ट) सम्बन्धी प्रस्ताव स्वीकृत हुआ था। लेकिन जो कमिटी इसके लिए नियत की गई थी उसने अपनी रिपोर्ट अभी तक नहीं पेश की इन चुनावों में कुछ ऐसी प्रवृत्तियाँ भी जहाँ तहाँ है। उस प्रस्ताव में जितनी बातें सम्मिलित थीं उनसे यह देखी गई हैं जिनके अनुसार किसी न किसी प्रकार बहुमत कहीं ज़्यादा बड़ा सवाल है । इसके द्वारा कांग्रेस के वर्तमान प्राप्त करने के लिए समझौते किये गये हैं। यह रुख़ बहुत संगठन को ही बदलने का विचार है ताकि कांग्रेस एक ही ख़तरनाक है। इसे तुरन्त रोकना चाहिए । चुनाव का अधिक मज़बूत, संगठित और पुरअसर काम करनेवाली उपयोग तो ख़ास तौर पर इसी लिए होना चाहिए कि संस्था बन सके। जनता कांग्रेस के झण्डे के नीचे श्रावे । करोड़ों वोटरों और इसमें सन्देह नहीं कि श्रीमान् नेहरू जी के इस वर्ष भी असंख्य गैर-वोटरों के पास समानरूप से कांग्रेस का सन्देश राष्ट्रपति बने रहने से देश में नव जागरण को शक्ति और पहुँचे, और जनता का आन्दोलन दूनी तेज़ी से आगे बढ़े। दृढ़ता दोनों प्राप्त होंगी। Printed and published by K. Mittra, at The Indian Press, Ltd., Allahabad. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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