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________________ संख्या १] सम्पादकीय नोट १०१ और पुलिस को शामिल न कर) लड़ाकों की संख्या सन् उदाहरण लोगों के सामने आये हैं। एक दक्षिण अफ्रीका १९३५-३६ में ८२,००,००० थी, जिनमें से ५,४५,००० का है । यहाँ के गवर्नर जनरल लार्ड क्लेरेंडन का कार्य-काल जल-सैनिक थे। निरस्त्रीकरण-सम्मेलन के काल में (सन् १९३७ के मार्च से समाप्त हो जायगा। अभी तक यहाँ के १९३१-३२) यही संख्या ६५,००,००० थी। इस प्रकार गत गवर्नर-जनरल की नियुक्ति ब्रिटेन के प्रधान मंत्री के परामर्श ५ या ६ वर्षों में १७,००,००० सैनिकों की वृद्धि हुई है। के अनुसार हुआ करती थी। परन्तु १९२६ की इम्पीरियलकेवल यूरोपीय देशों को ले तो उनके सैनिकों की वर्तमान कान्फरस और वेस्ट-मिनिस्टर-स्टेट्यूट के फलस्वरूप अब सख्या (स्थल, जल और वायु सेनात्रों में) ४८,००,००० वहाँ के गवर्नर-जनरल की नियुक्ति देश के प्रधान मंत्री के है जो सन् १९३१-३२ में कुल ३६,००,००० थे। अर्थात् परामश के अनुसार हुआ करेगी। फलतः दक्षिण अफ्रीका केवल योरप में १२,००,००० सैनिकों की वृद्धि हुई है। के प्रधान मंत्री जनरल हर्टज़ोग ने यह सिफारिश की है ____ महायुद्ध के पूर्व और पश्चात् की स्थितियों का कि मिस्टर पैट्रिक डनकन गवर्नर-जनरल बनाये जायँ । मुकाबिला करना रोचक है। राष्ट्र-संघ की शस्त्र-पुस्तक में तो तदनुसार बादशाह ने उनकी नियुक्ति की स्वीकृति दे दी। युद्ध के पूर्व के सैनिकों की संख्या नहीं दी गई, परन्तु अन्य इससे यह प्रकट हो जाता है कि उन देशों को स्वराज्य के स्थानों पर जो अनुमान दिये गये हैं उनके अनुसार समस्त कैसे अधिकार प्राप्त हैं। दूसरा उदाहरण आयलैंड का है सैनिकों की संख्या जल-सेना के अतिरिक्त) ५९,००,००० और वह इससे भी बढ़ा-चढ़ा है। आयलैंड ने अपने यहाँ थी। सन् १९३५-३२ में यही संख्या ६०,००,००० थी, की पार्लियामेंट में कानून पास करके गवर्नर-जनरल का और श्राज-कल ७६,००,००० है। अर्थात् १९१२-१३ पद ही उठा दिया है और उसके सारे अधिकार अपनी से अब तक १७,००,००० की वृद्धि हुई है। केवल योरप पार्लियामेंट के स्पीकर को प्रदान कर दिये हैं। यही नहीं, में युद्ध के पूर्व की संख्या ४६,००,०००: सन् १९३१-३२ वहाँ की सरकार ने बादशाह का नाम केवल बाहरी मसलों में ३२,००, ००० और आज-कल ४५,००,००० है। में ही उपयोग करने का निश्चय किया है। देश के भीतरी सारांश यह है कि योरप में निरस्त्रीकरण-सम्मेलन के मामलों में अब बादशाह का नाम नहीं प्रयुक्त होगा। ये सब वास्तव में बड़े भारी परिवर्तन हैं और इनसे प्रकट होता थी, पर इस समय वह १९१२-१३ के बराबर है। है कि ब्रिटिश साम्राज्य के भिन्न भिन्न देश किस तरह अपने योरप की यह परिस्थिति क्या योरपीय महायुद्ध के अस्तित्व का महत्त्व प्रकट करने में यत्नवान् हो रहे हैं तथा छिड़ने की सम्भावना का द्योतक नहीं है, अब तो स्पेन के उनकी क्षमता कहाँ तक बढ़ गई है। निस्सन्देह साम्राज्य गृहयुद्ध ने लड़नेवालों को मौका भी दे दिया है और उन्होंने के इन कई प्रधान देशों से केन्द्रीय साम्राज्य सरकार की एक तरह लड़ाई छेड़ ही दी है। जर्मनी और इटली विद्रो- सत्ता पूर्णतया उठ गई है और यदि कहीं कुछ है भी तो हियों के पक्ष में हैं और रूस स्पेन-सरकार के पक्ष में है। वह नाममात्र को ही है। इस परिस्थिति से साम्राज्य को ब्रिटेन और फ्रांस निरपेक्ष हैं। कौन कह सकता है कि स्पेन कहाँ तक दृढ़ता प्राप्त हुई है, इसका पता भविष्य में ही का यह युद्ध महायुद्ध का रूप नहीं ग्रहण कर लेगा ? लगेगा, आज इस सम्बन्ध में निश्चयपूर्वक कोई कुछ नहीं कह सकता है। साम्राज्य सरकार और उपनिवेश ___ मदरास के कारपोरेशन का महत्त्वपूर्ण कार्य ब्रिटिश साम्राज्य के अन्तर्गत श्रात्मशासन-प्राप्त कई देश मदरास के कारपोरेशन के हाल के चुनाव में कांग्रेसदल हैं । कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, फ्रो-स्टेट आदि की असाधारण जीत हुई है और उसका उसमें बहुमत हो ऐसे ही देश हैं। इन देशों को श्रात्म-शासन के कहाँ तक गया है । फलतः कारपोरेशन में महत्त्व का एक यह प्रस्ताव बढे चढे अधिकार प्राप्त हैं, इसका पता समय-समय पर पास किया गया है कि अब कारपोरेशन में हेल्थ अाफ़िसर. मिलता रहता है। इस सिलसिले में हाल में और दो ताज़े रेवेन्यू आफ़िसर, इलेक्ट्रिकल इंजीनियर जैसे उच्च अधिकारी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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