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सेवा और सहानुभूति के भावों से युक्त एक कहानी।
दीनानाथ
लेखक,
श्रीयुत आत्माराम देवकर
“दादा भैंस कहाँ गई"
Sunnfaha.
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दीना मजदूरी करता था। उस पर पंडित दीनानाथ के
पचास रुपये आते थे। पंडित जी धनी-मानी पुरुष थे। दीना जब उनके यहाँ नौकर था, किसी आवश्यक कार्य के लिए उसने उनसे ये रुपये उधार लिये थे। पंडित जी एक उदार
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