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________________ सरस्वती [भाग ३६ इस पहलू में होशियार हो चुके थे, इसलिए कोई बच्चा लड़का अमृतसर की मजलिस अहरार इसलाम का उनके कब्जे में न जा सका। एक अबला मुसलमानों बिल्ला छाती पर लगाये हुए केंप के दरवाज़े पर के कब्जे में थी। एक मुसलमान यहाँ तक कहता था कि खड़ा था। केंप के एक अधिकारी को संदेह हुअा और यह स्त्री मेरी है । अंत में मजिस्ट्रेट को सूचना दी उसने लड़के से कुछ प्रश्न किये । परन्तु वह संतोषजनक गई। उसने आकर सभी के बयान लिये और हिन्दू स्त्री उत्तर न दे सका। मामला कैप के सभापति के सामने पेश को मुसलमानों के पंजे से छुट्टी दिलवाई। किया गया । खोज करने पर उस लड़के के अतिरिक्त एक ६ जून की रात को कुछ मुसलमान स्वयंसेवकों ने अन्य हिन्दू बालक भी केंप के बाहर मिला। उन्होंने एक लावारिस हिन्दू लड़के को गाड़ी से उतार लिया। बताया कि वे दोनों मजलिस अहरार के कप्तान के साथ इस पर कुछ हिन्दुओं ने आपत्ति की। लेकिन मुसलिम रहते हैं। अब यह मामला डिप्टी कमिश्नर के पास स्वयंसेवक लड़ाई करने पर उतारू हो गये। हिन्दू स्वयं- पहुँचा। उसने तहकीकात करने के बाद अहरारी मजलिस सेवक लड़के को अपने खीमे में ले आये, परन्तु मुसल- के कप्तान को तत्काल केंप के बाहर निकाल दिया। मान वहाँ ज़बरदस्ती घुस आये। उन्हें विश्वास दिलाया ये दोनों लड़के अपने-अपने निवासस्थान, बटाला गया कि लड़का हिन्दू है । लड़के ने अपना नाम भी बताया। और राजा-सांसी, पहुँचाये गये। ऐसा मालूम होता अब मुसलमान स्वयंसेवक शरारत करने लगे कि इतने है कि मुसलमानों की मजलिस के कप्तान ने इन दोनों में लड़के के माता पिता वहाँ पहुँच गये। के पते नोट कर लिये और फिर अपने आदमी भेज मुलतान में एक गाड़ी में दो बुर्का-पोश स्त्रियों से कर उन दोनों को वहाँ से बरग़ला लिया । यह मुसलिम नाम पूछने पर मालूम हुआ कि वे हिन्दू हैं। लेकिन मनोवृत्ति हिंदुओं के लिए कितनी घातक है, यह बात अब मुसलमानों ने कहा कि ये मुसलमान हैं। किन्तु खानेवाल- हिंदू धीरे-धीरे समझने लग गये हैं। स्टेशन पर भेद खुल गया। मालूम हुआ कि ये दोनों कहा जाता है कि इस बात का क़रीब-करीब फैसला स्त्रियाँ गुजरांवाला की हैं । भूचाल में दोनों के पति मर हो गया है कि एक साल के लिए कोयटा 'सिंगल स्टेशन' गये थे । इस पर दो पठानों ने इन्हें डराया-धमकाया और रहेगा अर्थात् कोई मुलाज़िम अपने परिवार को कोयटा में अब बुरके पहनाकर भगा ले जा रहे थे । एक सिपाही न रख सकेगा। नया कोयटा तीन मील की दूरी पर मेरी की मदद से दो हिन्दू स्वयंसेवकों ने इन अबलात्रों को के मैदान में तम्बुत्रों का बनाया जायगा। कुछ मेडिकल उनके घर पहुँचाया। विशेषज्ञ इस बात को देख रहे हैं कि खुदवाई का काम अमृतसर-रिलीफ़-कैप में १२ जून को कुछ मुसल- कब शुरू किया जाय । अगर इन्होंने राय दी कि फ़ौरन मान स्त्रियाँ आई और अपने लिए लावारिस बच्चे माँगने खुदवाने से बीमारी नहीं फैलेगी तो खुदवाई तुरन्त शुरू हो लगीं । केप के इन-चार्ज ने उत्तर दिया कि यहाँ कोई जायगी; नहीं तो कुछ मास बाद । जिन लोगों का रुपया : लावारिस बच्चे बाँटे नहीं जाते। इस पर उन्होंने अाश्चर्य और माल-असबाब दब गया है वे अगर अपनी प्रकट करते हुए कहा-“इमी रिलीफ़-कैप ने एक हवल- चीज़ों की सूची बनाकर एजन्ट आफ़िसर कमांडिंग । दार को तो एक बच्चा दिया है; अब हमें क्यों नहीं दिया रेस-कोर्स, कोयटा केम्प, के नाम भेज देंगे तो खुदवाई : जाता ?" इस बात ने केंप के सदस्यों को हैरान कर दिया के समय उनका खयाल रक्खा जायगा-इस बात का और वे इस भेद की तह तक पहुँचने का यत्न करने लगे। आश्वासन दिया गया है। खुदवाई के समय विभिन्न : अगले दिन सुयोग से एक छोटी उम्र का सभा-समितियों के प्रतिनिधि भी साथ ले लिये जायेंगे। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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