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________________ संख्या ६] नई पुस्तकें सफल उपयोग किया जा सकता है। पुस्तक की भाषा को मूर्तिमान् रूप में लाकर खड़ा कर देता है। अध्याय सरल और सुबोध है तथा कवितायें साधारण तथा श्राज- के अध्याय पढ़ जाने पर भी जी नहीं ऊबता । भारतीय कल के प्रचलित थियेटरों के ढंग की हैं। त्रुटियाँ और विदेश की खूबियाँ कहीं कहीं पास-पास ___३-प्रलाप (कविता)-रचयित्री श्रीमती सुशीलादेवी तुलनात्मक रूप में अंकित की गई हैं । ऐसे स्थानों पर सामन्त, प्रकाशक, श्री देवेन्द्रनाथ सामन्त, एम० ए०, लेखक ने अपने व्यंग्य के चाबुकों की जो फटकार लगाई एल-एल० बी०, एम० एल० सी०, चाईबासा हैं। है उससे देशवासियों के उद्बोधन का कार्य होता है । - यह पुस्तक 'वीणा', 'अन्तर्धान', 'अभिलाषा' ग्रादि सचित्र होने से यह पुस्तक और भी उपयोगी हो गई है। भिन्न भिन्न शीर्षकोंवाली ४३ कविताओं का संग्रह है और (२) लंका- लेखक, श्रीयुत राहुल सांकृत्यायन । खड़ी बोली में लिखी इन सरस कविताओं की लेखिका हैं मूल्य || मुण्डारीभाषाभाषिणी एक महिला कवि। प्रारम्भ में इस पुस्तक में श्रीयुत राहुल जी ने अपने 'लंका-प्रवास' अपना परिचय देते हुए उन्होंने लिखा है के अनुभवों, तथा लंका के प्रसिद्ध-प्रसिद्ध नगरों एवं ___ "हिन्दी मेरी मातृभाषा नहीं है। मेरी मातृभाषा तत्सम्बन्धी इतिहास का रोचक वर्णन किया है । लंकामुण्डारी है। परन्तु मैं राष्ट्र-भाषा हिन्दी को अपनी मातृ- निवासियों के पर्व, उनका रहन-सहन, रीति-रवाज यादि समझती हूँ।" लेखिका का यह अनेक विषयों का ज्ञान इस पुस्तक से हो जाता है। विचार अभिनन्दनीय है। समन्तकूट का तीर्थ मुसलमान, हिन्दू तथा बौद्ध सबके ___ इन कविताओं में कवि-हृदय की एक सहज स्वाभाविक लिए एक पवित्र तीर्थ क्यों है और कैसा है, इसका मनो. करुण झंकार अोतप्रोत है। इन्हें हम 'प्रलाप' कहकर कैसे रंजक वर्णन आपको इस पुस्तक में मिलेगा। लेखक की पुकारें ? निःसन्देह एक वियोगिनी के हृदय कानन के ये लेखनशैली की सब विशेषतायें इसमें भी हैं। सहज, सरस तथा सुन्दर काव्य-कुसुम साहित्य-रसिकों के साहित्यसेवक-संघ, छपरा-द्वारा प्रकाशित इन दोनों हृदय में सहानुभूतिपूर्ण यात्म-विस्मृति की अवस्था उत्पन्न पुस्तकों का गेट-अप सुन्दर है, परन्तु प्रूफ़-सम्बन्धी त्रुटियाँ कर देते हैं। पुस्तक में छन्द-सम्बन्धी कुछ त्रुटियाँ भी भी यत्र-तत्र रह गई हैं । दोनों पुस्तकें उपादेय हैं। खोजने से मिल जायँगी, परन्तु 'काव्य' हृदय का सहज -कैलाशचन्द्र शास्त्री, एम० ए० अन्तर्नाद है, केवल छन्द ही नहीं । कविता-प्रेमियों को इस ६-लंदन में भारतीय विद्यार्थी लेखक, श्री रचना का आनन्द लेना चाहिए। राजकुमार मानसिंह बार-एट-लॉ, प्रकाशक, राजस्थान ४-५-साहित्य-सेवक-संघ छपरा की २ पुस्तकें- मंडल, अजमेर और मूल्य ११) है । (१) मेरी योरोप-यात्रा-लेखक, त्रिपिटकाचार्य लेखक महोदय ने ढाई सौ पृष्ठों की इस पुस्तक श्रीयुत राहुल सांकृत्यायन । मूल्य १||-) है । को पाठकों की सुविधा के लिए सात परिच्छेदों में ___ लंका, तिब्बत, योरप आदि के उत्साही पर्यटक, बौद्ध. विभक्त किया है । शिक्षा प्राप्ति के लिए लंदन में जानेसाहित्य के ख्यातिप्राप्त पंडित श्रीयुत राहुल सांकृत्यायन वाले भारतीय विद्यार्थियों को पहले जिन कठिनाइयों का जी का विशेष परिचय देने की आवश्यकता नहीं। भिक्षु सामना करना पड़ता है और वहाँ का वातावरण उनके जी की योरप यात्रा का यह मनोरंजक वर्णन सरस और विचारों में परिवतन करके उन्हें अपने अभीष्ट से जिस सुन्दर शैली में लिखा गया है । लन्दन, पेरिस तथा जर्मनी प्रकार गिरा देता है उस सबका इस पुस्तक में यथोचित के प्रसिद्ध प्रसिद्ध स्थानों, शिक्षणालयों, अद्भुतालयों, विश्लेषण किया गया है। इसकी शैली उपन्यास-जैसी ग्रन्थागारों आदि का वर्णन सरल तथा सजीव भाषा में है। मदन, ऐयर और गुप्ता इसके मुख्य पात्र हैं। वे लिखे होने के कारण पाठकों के सामने उन उन चीज़ों शिक्षा-प्राप्ति की कामना से लंदन जाते हैं। ऐयर का Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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