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________________ ५४० सरस्वती दो [ पाम्पियाई – साधारण शिष्टाचारों से छुट्टी पाने पर हमने टैक्सियाँ किराये पर लीं और शहर देखने निकले। ब्रिडिसी गन्दा शहर है और सिवा इसके कि वह एक बन्दरगाह है, उसका कोई और महत्त्व नहीं है । फ़ौजी सिपाहियों की एक बड़ी संख्या को सड़क पर मार्च करते हुए हमने एक बड़े खुले मैदान की ओर जहाँ रविवार का सैनिक प्रदर्शन किया जा रहा था, जाते हुए देखा । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat पालो का मन्दिर ] होने की आवश्यकता नहीं है। उनके मित्र श्रीयुत गोविल का जो गत वर्ष ब्रिडिसी उतरे थे, कहना था कि इटली की विचित्र घाटियों से होकर अपनी नेपल्स की यात्रा में उन्होंने कुछ अत्यन्त चित्रोपम दृश्य देखे हैं। इसमें सन्देह नहीं कि जब हम इटली के दक्षिणी पर्वतों की घाटी से होकर गुजरे तब हमें श्रीयुत लाल का वक्तव्य सत्य प्रतीत हुआ । सड़क ऊबड़खाबड़ पत्थरों की बनी, तङ्ग और गन्दी थी। एक योरपीय शहर का हम लोगों पर जो पहला प्रभाव पड़ा वह अत्यन्त निराशाजनक था । ठाकुर साहब ने सीधा लन्दन जाने की अपनी मूल योजना में परिवर्तन कर लेने के कारण अपने आपको बहुत कोसा। मेरी योजना बदलवा देने के • कारण श्रीयुत डी... ने बहुत खेद प्रकट किया। ख़ैर श्रीयुत लाल ने विश्वास दिलाया कि हमें निराश [ भाग ३६ सब मिलाकर हम आठ व्यक्ति थे, परन्तु हममें से कोई इटालियन भाषा का एक शब्द भी नहीं बोल सकता था, इसलिए हमने टामस कुक से एक गाइड लिया। शहर में दो घंटे घुमाकर वह हमें सहीसलामत स्टेशन पर ले गया। स्टेशन पर खाने के लिए हमें सिर्फ कुछ रोटी और मक्खन मिल सका, लेकिन फल यथेष्ट मिले। हम सब लोग बहुत भूखे थे, इसलिए जो कुछ भी मिला उसे खूब खाया। लगभग १२ बजे दिन को हमने नेपल्स की गाड़ी www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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