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________________ ५१८ सरस्वती [ भाग ३६ कोरियन को ७५ येन वेतन मिलने पर जापानी को १०० येन् मिलेगा। दोनों की तनख्वाह में बराबर २५ सैकड़े का अन्तर होता है। पुलिस कान्स्टेबल जापानी होने पर ५० येन् पायेगा, किन्तु कोरियन होने पर ३५ येन् ही मिलेंगे। जापानी को घर, वस्त्र आदि पर कोरियन की अपेक्षा अधिक खर्च करना पड़ता है, इसी लिए यह तर्क रखना पड़ता है। नौकरी में व्यक्ति के निर्वाह-मान को तो देखना ही पड़ेगा। आज के अन्तिम दो. तीन मील की यात्रा तो प्राकृतिक दृश्य में अद्भुत [कोङ गोसान्-वैरोचन शिखर, कुमे होटल] थी। चाहे पहाड़ और उसकी शिलाओं और शिखरों को रोज़ का ३॥ येन् देना पड़ता है। (येन् की क्रय-शक्ति देखने पर उसे देखिए, चाहे हरे वृक्षों और वनस्पतियों की ओर नज़र दौड़ाइए। साढ़े तीन रुपया ही समझिए)। और इसी से यह भी मालूम होता है सभी मुझे तो पद-पद पर नगाधिराज हिमालय का स्मरण दिला रहे कि कोरिया में मजदूरी उतनी सस्ती नहीं है, जितनी भारत में। ढोने- थे। कुमे होटल के मील डेढ़ मील पर जाने पर तो भोजपत्र के वृक्ष वाले के मोज़-सहित जापानी बूट, साफ कपड़े और तिनके की हैट भी आ गये। यहाँ साल में चार मास तक बर्फ रहती है। रास्ता देखने से भी आपको उसका अनुमान हो जायगा। अप्रैल-मई में खुलता है। होतेन में टैक्सी से उतर हम धार पार हो एक दूसरी धार से ऊपर चार बजे हम कुमे होटल में पहुँचे । एक पर्वत की बाही पर समुद्रकी ओर चलने लगे। इंजीनियर साथ साथ चल रहे थे। दोपहर को तल से पाँच हज़ार फुट ऊपर यह होटल अवस्थित है। कोङ्-गो-सान् एक शीतल स्थान पर बैठकर हमने होटल-द्वारा प्रदत्त पाथेय को उदर- के सर्वोच्च शिखर विर-हो वैरोचनकूट) के दर्शनार्थी बहुत-से लोग हर सात् किया। रास्ते में जहाँ-तहाँ थोड़ी थोड़ी दूर पर विश्राम करते हुए साल यहाँ आया करते हैं । उन्हीं के लिए रेलवे के भूतपूर्व प्रधान डाक्टर आगे बढ़ रहे थे । एक जगह इंजीनियर से कोरिया के बारे में बात-चीत कुमे के स्मरण में यह होटल बना है। होटल अभी पूरी तरह से छिड़ गई। उन्होंने कहा-हज़ारों कोरियनों ने जापानी लड़कियों से शादी तैयार नहीं हुआ है। रेडियो का भी यहाँ इन्तज़ाम है। तैयार की है। जापानी इसे बुरा नहीं मानते । स्वयं जापान-सम्राट के कुल को हो जाने पर यह भी एक आकर्षक स्थान होजायगा। यह स्थान ३८ राजकन्या को कोरिया के एक राजवंशी कुमार ने ब्याहा है। लेकिन अक्षांश में अवस्थित होने से भारत के बदरीनाथ के समान ठंडा है। जापानी लोग बहुत कम कोरियन लड़कियों से ब्याह करते हैं। कारण शाम को सलाह हुई थी-कल पाँच बजे सवेरे ही वैरोचनकूट पर शायद कोरियन स्त्रियों की काम करने में उतनी तत्परता का अभाव हो, चढ़ना है। सोते वक्त पाँच बजे उठने का संकल्प किया था, और ठीक जितनी जापानी स्त्रियों में पाई जाती है। अथवा पोशाक के भद्दपन समय पर नींद खुल भी गई, किन्तु अपनी मंडली को देखा कि अभी लम्बी से कोरियन स्त्रियाँ अपने सौंदर्य को उतना आकर्षक नहीं बना पड़ी है। तब सात बजे तक कुकुरनिंदिया लेता रहा। उठकर हाथसकतीं। मुँह धोने गये, तब देखा, बाहर बूंदें पड़ रही हैं, और आकाश में धना तनख्वाह की बात चलने पर मालूम हुआ-उसी काम के लिए बादल छाया हुआ है। ऐसे समय में वैरोचनकूट से समुद्र और पर्वत Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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