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संख्या ६]
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उनमें एक विशेष चेतनता उत्तेजन-द्वारा उत्पन्न होती सदा परिपूर्ण रहता है। किसी किसी के सोने के है। केवल वही कम्प शब्द को उत्तेजना देते हैं समय वह बन्द हो जाता है। इसका सम्बन्ध तालु से जिनमें सतता होती है। ये सीमायें प्रत्येक मनुष्य में होता है। किसी चीज़ के निगलने के समय यह पृथक् पृथक् होती हैं। इनका सामान्य अतीत २० से सदैव खुल जाता है, और अन्दर की हवा बाहर लेकर २०,००० कम्प प्रति सेकंड है। बहुत-से जानवर निकल जाती है और बाहर की हवा अन्दर आ जाती केवल बहुत ऊँचा शब्द सुन पाते हैं, इसके प्रतिकूल है। इससे बाहर और अन्दर की हवा का दबाव मछलियों और जलजन्तुओं में मन्द कम्पों की चेतना बराबर रहता है। यदि दबाव बराबर न रहे तो कान होती है और सो भी वे जिनमें शीघ्रता न हो। की चेतना जाती रहती है। ___ कान के तीन हिस्से होते हैं। बाहरी हिस्सा शब्द कानों से केवल हम सुनते ही नहीं हैं, बरन की लहरों को जमा करता है, बीचवाला सबसे अन्दर- शब्द की व्याख्या भी करते हैं। शब्द की तरङ्गों में वाले हिस्से तक पहुँचाता है और अन्दरवाला उनका भिन्नता होती है-किसी में तीव्रता होती है और विभेद और विच्छेद करता है और उन्हें ज्ञानतन्तुओं किसी में स्वर । स्वर यह सूचित करता है कि अमुक की प्रवृत्तियों में परिवर्तित कर देता है, जिन्हें मस्तिष्क समय में कितनी वायु की तरङ्गे कान तक पहुँचती पा कर उनको प्रतिबंधित करता है। दोनों कानों हैं और उनका स्थायित्व क्या है। यह अभी अँगरेज़ में बराबर शब्द पहुँचता है, और एक-दूसरे की विद्वानों के मतानुसार विवाद-रहित नहीं है कि सहायता किया करता है। यदि उस आदमी से किस तरह से हम किसी शब्द का स्वर पहचान पाते बातें की जायँ जिसके कानों की चेतना घट गई है हैं, जिसकी ध्वनि मिश्रित होती है । इस ओर खोज तो वह कान के पीछे हाथ लगा कर सुनेगा, जिससे करनेवालों का कहना है कि बहुत कुछ खोज किये यह प्रकट होता है कि वह शब्द की लहरों को जाने पर भी अभी बहुत कुछ खोज करना बाकी है। अधिक एकत्र करने की चेष्टा कर रहा है और वह जानवर कान का उपयोग अधिकतर नर और बातें करनेवाले मनुष्य के ओठों की तरफ़ देखेगा। मादा के खोजने में करते हैं। नर शब्द उच्चारण करता देखने और सुनने में बड़ा सम्बन्ध है। बहुत कुछ है और मादा उसे सुनकर समद हो जाती है। मादा हम देख करके समझ लेते हैं कि क्या कहा जा रहा शब्द के अोज से प्रभावित होती है। टेलीफ़ोन-द्वारा होगा, चाहे कान न मदद करें। मनुष्यों को प्रकृति नर का शब्द मादा तक पहुँचाया गया और उसे सुनने यह शक्ति नहीं दी है कि वे अपने कानों को कर उस पर वही प्रभाव पड़ा जो नर के सामने होने इधर-उधर चला सकें। यह शक्ति बाज़ बाज़ जान- पर पड़ता। कुछ पतिंगों में सुनने की शक्ति उनके वरों में होती है, वे अपने कानों को घुमाते हैं और अगले पैरों में होती है और किसी किसी के शरीर विस्तृत भी कर लेते हैं और वह भी जिधर से शब्द में । प्रकृति की ऐसी ही विचित्र रचना है। आ रहा होता है उधर कान कर देते हैं। कान के अब यह मालूम हो गया है कि शब्द क्या है, अन्दर का हिस्सा अनियत होता है और इसी वजह शब्द कितनी तरह के होते हैं, कैसे उत्पन्न होते हैं, से उस पर प्रतिनाद का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। कैसे यात्रा करते हैं और कैसे सुनाई देते हैं। यह नहीं है कि उसे प्रतिनाद मालूम ही न होता हो। अब यह देखना रह गया है कि शब्द का प्रभाव ___ कानों के परिमाण से शब्दों की लहर कहीं बड़ी कामकारिणी इच्छाओं पर क्या पड़ता है। कुछ होती है। उसका अतीत ३ इंच से लेकर ५५ फुट अँगरेज़ी-लेखकों ने इस ओर बहुत खोज की है। तक होता है। कान के मध्यभाग का छिद्र वायु से शब्द-द्वारा ही हम अपनी इच्छायें प्रकट करते हैं
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