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________________ जवाहरलाल नेहरू और हिन्दू-संस्कृति भाई परमानन्द जी ने अगस्त की 'सरस्वती' में "स्वराज्य क्या है ?" शीर्षक एक लेख लिखा था। उसके उत्तर में पण्डित जवाहरलाल नेहरू ने एक लेख प्राक्टोबर की 'सरस्वती' में "भाई परमानन्द और स्वराज्य' शीर्षक से लिखा था। भाई जी का यह लेख नेहरू जी के उसी लेख के प्रत्युत्तर में लिखा गया है। आशा है इस विवाद से इस जटिल प्रश्न पर समुचित प्रकाश पड़ेगा। जा राज्य के बारे में मैंने पिछले मैं यहाँ नहीं ले सकता, क्योंकि उस दशा में लेख av a दिनों एक लेख "स्वराज्य बहुत ही लंबा हो जायगा। फिर भी मैं उन कुछ क्या है ?" लिखा। अल- सवालों को लेकर जवाब देने का प्रयत्न करूँगा जो मोड़ा में रहते हुए पं० पं. जवाहरलाल के दिल में पैदा हुए हैं। ATM जवाहरलाल नेहरू ने उसे असली विषय को लेने से पूर्व मैं इतना निवेदन ISABा पढ़ा। ऐसा मालूम होता कर देना चाहता हूँ (अगर यह धृष्टता न समझी है कि उसे पढ़कर उनके जाय) कि इस विषय पर पंडित जी के अपने विचार विचारों को थोड़ी-सी ठोकर लगी और उन्होंने इस बहुत साफ़ या स्पष्ट नहीं हैं। इस बात को उन्होंने विषय पर अपने विचारों को लेखबद्ध करना आवश्यक अपने लेख के अंत में इस प्रकार स्वीकार किया समझा। अपने लेख में पंडित जी ने न सिर्फ अपना है-"पुराने इतिहास और आधुनिक संसार की पक्ष पेश करने का यत्न किया है, बल्कि कई स्थलों राजनीति पर विचार करते हुए दिमाग में खयालात पर यह इच्छा प्रकट की है कि कुछ एक बातों पर मैं का एक हुजूम पैदा हो जाता है । कलम उनका साथ अपने विचार खोल कर स्पष्ट करूँ। पं. जवाहरलाल नहीं दे सकता। वह बेचारा तो धीरे-धीरे काग़ज़ पर जैसे राजनैतिक स्थिति रखनेवाले व्यक्ति जब काली लकीरें खींचता है, विचारों की दौड़ में बिलमुझसे कुछ सवाल करें तब मेरे लिए यह एक प्रकार कुल पिछड़ जाता है। उसकी धीमी रफ्तार से से कर्तव्य हो जाता है कि मैं उनका उत्तर हूँ। लेख में उलझन पैदा होने लगती है।" कई बातों को छुआ गया है। उनमें से हर एक को जब वस्तु-स्थिति ऐसी हो तब मेरी राय है कि ४८२ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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