SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 522
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४७६ सरस्वती [भाग ३६ इटली और अबीसीनिया ___ करता है । इस समय तो वह दो ही राष्ट्रों के बीच में हो अबीसीनिया पर इटली का जो आक्रमण हुअा है रहा है, जिनमें एक अर्थात् अबीसीनिया आक्रान्त है और उसे राष्ट्र-संघ ने भी अन्यायमूलक घोषित किया है । परन्तु इतना साधनरहित है कि वह अपने शत्रु के श्रागे अधिक इटली को इसकी परवा नहीं और वह अबीसीनिया को समय तक ठहर नहीं सकता। चाहे जो हो, इस युद्ध से हड़प लेने को कटिबद्ध है। इटली उसकी अपेक्षा कहीं इतनी बात भले प्रकार स्पष्ट हो गई है कि जिसकी लाठी अधिक सभ्य और बलसम्पन्न है। ऐसी दशा में अबीसी निया उसकी भैंसवाला सिद्धान्त अाज भी सोलहो अाने ठीक और उसकी क्या बराबरी है। इसमें सन्देह नहीं कि अबी- दिखाई दे रहा है और यह दिखाई दे रहा है कि वर्तमान सीनिया यों ही डर कर तलवार नहीं रख देगा, वह अपनी योरपीय सभ्यता की चमक-दमक के पीछे दानव-युग की शक्ति के अनुसार इटली से डटकर युद्ध करेगा। परन्तु असभ्यता पहले की ही भाँति आज भी खुलकर खेल इस युद्ध में अन्त में उसी का पराभव होगा । इटली क्या, रही है । इस बात को सारी दुनिया जानती है। तथापि अबीसीनिया के सम्राट काफ़ी चतुर राजनीतिज्ञ हैं । इसका देश की दुरवस्था प्रमाण उन्होंने पिछले दिनों बार बार दिया है। ऐसी इस समय जहाँ कांग्रेस में फूट पड़ी हुई है और उसके दशा में कौन कह सकता है कि इस संकट-पूर्ण अवस्था छोटे-बड़े नेता परस्पर लड़-झगड़ रहे हैं, वहाँ दूसरी ओर का सामना करने के लिए उन्होंने यथाशक्ति पहले से सम्प्रदायवादियों का बोलबाला हो रहा है । पंजाब में इस तैयारी न की होगी ? तो भी इटली के आगे वह सारी समय शहीदगंज के मामले को लेकर सिक्खों और मुसलतैयारी उनकी रक्षा न कर सकेगी। और यदि कोई वैसी मानों में जिस वैमनस्य का बीज बोया गया है उसने बहुत ही विचित्र घटना न हो गई तो वह दिन दर नहीं है जब ही उग्र रूप धारण कर लिया है। मुसलमान यहाँ तक अबीसीनिया को इटली के आगे घुटना टेकना पड़ेगा। क्रुद्ध हो उठे हैं कि उन्होंने सिक्खों के साथ हिन्दुओं से भी एक तो उसे आधुनिक शस्त्रास्त्रों से सजित किसी राष्ट्र की व्यवसाय व्यापार न करने का आन्दोलन शुरू कर दिया सहायता नहीं प्राप्त हो सकी, दूसरे वह स्वयं इटली के है और यदि सरकार के हस्तक्षेप करने का डर न होता तो समान तैयार नहीं है। तब उसे अपने बल से ही शत्र अब तक सारे पंजाब में नहीं तो कम से कम उसके सभी का सामना करना पड़ेगा। और उसका वह बल ऐसा मुख्य मुख्य शहरों में मुसलमानों की सिक्खों और हिन्दुओं नहीं है कि इटली उसे पददलित करने से विमुख हो से खूनी भिड़न्त हुए बिना न रहती। निस्सन्देह अब इस जाय । परन्तु योरप की वर्तमान दशा को देखते हुए यह विकट दशा की ओर कुछ इने-गिने मुसलमान नेताओं का बात भी निश्चय-पूर्वक नहीं कही जा सकती कि ऐसा ही ध्यान गया है और उन्होंने इस विषम परिस्थिति को काबू होगा । यह भी बहुत कुछ सम्भव है कि राष्ट्र-संघ के अपने में लाने का कुछ प्रयत्न भी किया है, परन्तु ऐसे लक्षण सिद्धान्तानुसार इटली का आर्थिक बायकाट करने पर नहीं दिखाई देते कि पंजाब के इस गृह-कलह पर वे अपना उससे बायकाट में प्रमुख भाग लेनेवाले राष्ट्रों का संघर्ष न उपयुक्त प्रभाव डाल सकेंगे। हो जाय । उस दशा में यह दो राष्ट्रों का युद्ध योरप के इधर कांग्रेस में अलग विशृंखलता बढ़ रही है। और महायुद्ध में परिणत हो सकता है । इसी स्थिति को बचाने इसका सबसे अधिक खेद जनक रूप लखनऊ के कांग्रेसी के लिए ग्रेट ब्रिटेन के राजनीतिज्ञों ने पिछले दिनों अपना नेताओं ने दिखाया है । यों तो साम्यवादी कांग्रेसी शुरू उग्र रूप दिखाया था। परन्तु मुसोलिनी के इटली ने उस से ही अपना मतभेद प्रकट करते हुए कांग्रेस के प्रधान सबकी उपेक्षा करके युद्ध छेड़ ही दिया। अब देखना है प्रधान नेताओं का विरोध करते श्रा रहे हैं, परन्तु इधर कि उसका यह युद्ध आनेवाले दिनों में कैसा रूप धारण जब से नया शासन-विधान पास हुआ है और नये Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy