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________________ कोणार्क लेखक, श्रीयुत अन 'कोणार्क' उड़ीसा प्रान्त का एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थान है। इस लेख में पाठक जी ने वहाँ के स दिन रात्रि के १२ बजे थे, पौष मास का शुक्लपक्ष था । हम दस व्यक्तियों ने कोणार्क देखने के लिए यात्रा की । कटक से रेलगाड़ी द्वारा पुरी पहुँचे। स्टेशन पर ही स्नानादि से निवृत्त हो गये। रायबहादुर [ मन्दिर का पश्चिमी भाग, हमारे दो साथी खड़े हैं ।] दूधवाले की धर्मशाला में सामान रखकर जगदीशमन्दिर देखने के लिए चले । थोड़ी देर तक मन्दिर का परिदर्शन किया, फिर भात लेकर खाया। इसके बाद कोणार्क जाने के लिए ४ बैलगाड़ियाँ १८) रुपये में ठीक की गई । [मन्दिर का उत्तरी द्वार जिसे सरकार ने बन्द कर दिया है । ] Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara Surat ३२ उ पुरी से कोणार्क २५ मील की दूरी पर एक बालुकामय स्थान है । वहाँ जाने के लिए दो रास्ते हैं—एक मोटर का, दूसरा बैलगाड़ी का । मोटर अनेक स्थानों का चक्कर [ कोणार्क-मन्दिर के भोगशाला का पूर्व द्वार । ] www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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