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________________ संख्या ४] ऋणग्रस्त रियासत-सम्बन्धी कानून ३३९ (ख) कर्जदार रईस के पास रक्षित और अरक्षित दोनों इस प्रकार जायदाद का ४६७५ महाजनों को दे देने जायदाद हैं। से और १६२८) किस्त सालाना गवर्नमेंट को अदा कर (ग) कर्जदार रईस के पास केवल रक्षित जायदाद है, देने से डेढ़ लाख रुपये का कर्ज अदा हो जाता है। कोई अरक्षित जायदाद नहीं है । ____ जब सूरत १ (ख) की है दूसरी सूरत में भी अर्थात् जब अरक्षित जायदाद की पहले कलक्टर यह निश्चय करेगा कि कर्जदार रईस बिक्री कीमत और रक्षित जायदाद की किस्ती कीमत की अरक्षित जायदाद का कितना हिस्सा महाजनों को दे जोड़ने पर भी कर्ज नहीं अदा होता तब यही तीन बातें दिया जाय । उसका तरीका यह होगा --. पैदा होंगी। जब सूरत १ (क) की है क़र्ज़ की मात्रा-अरक्षित जायदाद की क़िस्ती अर्थात् अरक्षित जायदाद की बिक्री कीमत क़र्ज़ से ज्यादा कीमत-रक्षित जायदाद की क़िस्ती कीमत है तब ऐसी हालत में जायदाद का कुछ हिस्सा बेच दिया बिक्री कीमत सारी जायदाद-क़िस्ती कीमत रक्षित जायगा और बाकी जायदाद से किस्तें बाँध दी जायँगी। जायदाद । मान लीजिए कि क़र्ज़दार रईस पर १ लाख ५० पिछला ही उदारण फिर ले लीजिए। क़र्ज़ १३ हज़ार का क़र्ज़ है। उसकी जायदाद की बिक्री कीमत २ लाख रुपये है। अरक्षित जायदाद की किस्ती कीमत ५१ लाख ५० हज़ार है (उसके पास कोई रक्षित जायदाद हज़ार है, रक्षित जायदाद की किस्ती कीमत मान लीजिए नहीं) और किस्ती की पत ५१ हज़ार रुपया है। प्रश्न यह ४०,०००) है । है कि इस रईस की जायदाद का कितना हिस्सा डेढ़ लाख १,५०,०००- (५१,००० x ४०,०००) १६ - २६६५ ५६ - कर्ज़ की अदायगी में बेचा जायगा । उसका कायदा २,५०,०००---५१,००० १६४ गवर्नमेंट ने यह मुकर्रर किया है कि क़र्ज़ की मात्रा में से अर्थात् अरक्षित जायदाद का २६६५ का हिस्सा महाजनों को क़िस्ती कीमत घटा दी जाय और उसे बिक्री कीमत में से दे दिया जायगा । किन्तु इससे केवल २५०,००० x २६ क्रिस्ती कीमत घटाकर जो कुछ अावे उसी से भाग दे दे। ६५ - ७४१२५) ही अदा होता है; १५०,००० - ७४१२५ १,५०,००० - ५१००० ६६ . = ७५८७५ देना बाकी रह जाता है । इसकी अदायगी २५०००० : ५१०००१६-जा कुछ भाग किस्तों से होगी। किस्त २० बरस में रईस मालगुजारी फल आवेगा, जायदाद का उतना ही हिस्सा बेचा जायगा, से अदा करेगा और उसकी मात्रा पूर्ववत् ७५८७५ १३ अर्थात् '४६७५ -- करीब आधे के।। २६४ =५७०७) होगी। यह भी सम्भव है कि क़र्ज़ की किन्तु १ लाख ५० हज़ार का कर्ज आधी जायदाद मात्रा इतनी ज़्यादा हो कि हिसाब लगाने से यह पता चले बेचने से पूरा पूरा अदा नहीं होता। २ लाख ५० हज़ार कि अरक्षित जायदाद पूरी की पूरी बेचनी होगी । जैसे मान की जायदाद का ·४६७५ बेच डालने से २,५०,००० x लीजिए कर्ज २ लाख ६० हज़ार रुपये है । उस हालत में '४६७५ = केवल १,२४,३७५ रुपया ही अदा होता है और २,६०,००० - ६१,००० - १६६- यह मालम होता है १,५०,००० - १२४३७५ = २५६२५) फिर भी देना बाकी २,५०,०००,--५१,००० १६६ रह जाता है। इसकी अदायगी कलक्टर २० किस्तों में कि पूरी पूरी अरक्षित जायदाद बेचनी होगी। कलक्टर करायेगा, जैसा ऊपर बताया गया है। २५६२५) की ऐसी हालत में सम्पूर्ण अरक्षित जायदाद बेच देगा और अदायगी २० बरस में २५६२५ १३:२६४ : १६२८) २ लाख ६० हज़ार रुपये कर्ज़ में से २ लाख ५० हज़ार प्रतिवर्ष किस्त देने से होगी। ये किस्तें गवर्नमेंट को रुपये अदा हो जायँगे । जो ४० हजार रुपया बचेगा वह रईस २० बरस में मालगुजारी के साथ अदा कर देगा। रक्षित जायदाद की किस्ती कीमत से २० बरस में अदा अर्थात् Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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