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________________ ३३६ सरस्वती' १ में बताये हुए विक्रयांक से १२३ प्रतिशत अधिक होगा । और अगर अस्थायी रूप से उनका बन्दोबस्त हुआा है तो २५ प्रतिशत अधिक । कज़ की अदायगी कैसे होगी ? कलक्टर स्पेशल जज के यहाँ से रईस के क़र्ज़ की मात्रा तथा उसकी मिलकियत की हद इत्यादि के सम्बन्ध में रिपोर्ट पाने के बाद क़र्ज़दार और महाजन दोनों को तलब करेगा और जायदाद के सम्बन्ध में जो प्रारम्भिक कीमत मुक़र्रर की गई है वह उन्हें बतायेगा । अगर इन लोगों को क़ीमत के बारे में कोई उज्र है तो कलक्टर उस उज्र को सुनेगा और यह देखेगा कि तहसीलदार ने जो छूट के पहले का मुनाफ़ा और छूट के बाद का मुनाफ़ा लगाया है वह कहाँ तक ठीक है। कलक्टर . यह भी निश्चित करेगा कि औसत विक्रयांक और औसत किस्त के जो अंक निर्धारित किये गये हैं उन में कोई तबदीली तो नहीं होनी चाहिए। कलक्टर के हुक्म के विरुद्ध बोर्ड आफ़ रेविन्यू में अपील हो सकेगी । मान लीजिए कि किसी बन्दोबस्ती हलके की जिसमें क़र्ज़दार रईस की जायदाद है, औसत विक्रयांक २५ है । इस हलके में नहर नहीं है । पानी भी अनिश्चित तरीके से बरसता है । लेकिन जिस जगह क़र्ज़दार रईस की जायदाद है, वहाँ श्रावणाशी का अच्छा इन्तिज़ाम है और ज़मीन ऊपरहार है । ऐसी हालत में कलक्टर उस जायदाद के विक्रमांक २६ या २७ कर सकता है। लेकिन उसे यह अधिकार नहीं है कि कमिश्नर की मंजूरी के बिना विक्रयांक को १६ प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा दे। कलक्टर ar चाहिए कि वह औसत विक्रयांक को इतना न बढ़ा दे कि क़िस्त की अदायगी में क़र्ज़दार को कठिनाई पड़ने लगे । क्योंकि यह ज़ाहिर है कि औसत विक्रयांक जितना ही घटाया बढ़ाया जायगा, क़िस्त भी उसी हद तक घटबढ़ जायगी और इस क़ानून के सफलता पूर्वक अमल में ने के लिए सबसे आवश्यक बात यह है कि सालाना क़िस्त ऐसी मुक़र्रर की जाय कि क़र्ज़दार रईस उसे आसानी से दे सके। लेकिन अगर क़र्ज़दार रईस के पास जमीदारी और रियासत के अलावा आमदनी का कोई दूसरा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat (भाग भाग ३६ मुस्तकिल ज़रिया है तो ऐसी हालत में क़िस्त बढ़ाई जा सकती है। अगर ज़मींदार के पास सीर और खुद काश्त की मात्रा बहुत अधिक है या उसके पास मुनाफ़े का कोई फारम है तो भी क़िस्त की मात्रा बढ़ाई जा सकती है । क़िस्ती क़ीमत कैसे निकाली जायगी ? औसत क़िस्ती अंक परिशिष्ट नं० १ में दिये हुए 'औसत विक्रयांक' का माना गया है । जैसे सैयदपुर-परगने का औसत विक्रयांक ३२ है । इसका औसत किस्ती २ x ६४ होगा। लेकिन इसमें दो अपवाद हैं। बहुत-से परगने ऐसे हैं जिनका 'औसत विक्रयांक' इतना ज्यादा है कि उसे पाँच से भाग देने पर ७१ से ज्यादा आता है, अर्थात् ३७५ से अधिक है । जैसे बनारस का विक्रयांक ४८ है, बस्ती में खलीलाबाद का ७० है । वहाँ अगर ऊपर के नियमानुसार औसत विक्रयांक को ५ भाग देंगे तो बनारस की जायदादों की क़िस्ती क़ीमत ६६ श्रायेगी और खलीलाबाद की १४ आयेगी । लेकिन पहला अपवाद यह है कि औसत बिक्री क़ीमत को ५ से भाग देने से चाहे कितना भी क्यों न श्राता हो, ७५ से औसत क़िस्ती क़ीमत कभी बढ़ नहीं सकती। दूसरा अपवाद इसी के मुक्काबिले का यह है कि ५ से औसत क़िस्ती कीमत कभी कम नहीं हो सकती । उदाहरण के लिए हमीरपुर और बाँदा जिले की सब तहसीलों का औसत विक्रयांक १६ निश्चित हुआ है। इसे अगर ऊपर बताये नियमानुसार ५ से भाग देते हैं तो इन ज़िलों की जायदाद का क़िस्ती अंक ३०२ आता है । लेकिन बाँदा या हमीरपुर ज़िलों की जायदादों का औसत क़िस्ती कीमत अंक ३२ नहीं होगा - ५ ही रहेगा। कहने का तात्पर्य यह है कि औसत क़िस्ती अंक ७% से ज्यादा और ५ से कम कभी नहीं हो सकता । क़िस्ती कीमत कैसे निकाली जायगी ? प्रारम्भिक क़िस्ती कीमत निकालने का क़ायदा यह है कि छूट के बाद के मुनाफ़े का औसत किस्ती अंक से गुणा कर दे । उदाहरण के लिए उसी गाँव रामपुर की फिर ले लीजिए और यह मान लीजिए कि छूट हो जाने के कारण आज-कल रामपुर का मुनाफ़ा केवल १३००) रह www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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