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________________ ३२२ सरस्वती [भाग ३६ MIRE दिन सुन्दर था और शरत् की स्वच्छ हवा थी। सम्राट कामेई को जिस समय शुभ संवाद सुनाया गया, उस समय वे मध्याह्न का भोजन कर रहे थे। . लेख में दर्ज हुअा है कि इस खुशखबरी को सुनकर आनंदमग्न होकर सम्राट ने कुछ और प्याले साके (शराब) के चढ़ाये थे। कुछ भी हो, शताब्दियों से शोगुन [तोक्यो-गिन्ज़ा, रात में के बंदी मिकादो और विशाल शालों में महान् सम्राट मेइजी के जीवन-सम्बन्धी उनके अनुयायियों को उस समय स्वप्न में भी खयाल ८० मूल चित्र रक्खे हुए हैं। आप जापानी नहीं जानते न हो सकता था कि यह कनिष्ठ कुमार मिकादो के तो कोई बात नहीं। कुछ सेन् देकर नीचे से विवरण पुस्तिका सिंहासन पर (१८६८ ई०) बैठेगा और बैठने के साथ ले अाइए। पहले ही चित्र से शुरू कीजिए। इस चित्र अपने वंश के चिरवंदी-जीवन का ही अन्त नहीं करेगा, के चित्रकार हैं शुका तकाहाशी, और प्रदाता हैं माविस बल्कि कुछ ही वर्षों में अत्यन्त अल्प खून-खराबी के साथ सुकेचिका नकायामा । प्रदाता सम्राट मेइजी के मातुल- टुकड़े टुकड़े में बँटे हुए जापान को एक राष्ट्र बनायेगा। वंश के हैं, जिनके घर पर सम्राट का जन्म हुआ था। इसकी प्रेरणा और पथप्रदर्शन में शताब्दियों का पर्दानशीन यहाँ के सभी चित्र प्रायः भिन्न भिन्न चित्रकारों-द्वारा जापानी राष्ट्र संसार के मैदान में उतरेगा और अाँधी की बनाये पायेंगे, और प्रदाताओं के बारे में भी वही चाल से शताब्दियों में संचित किये गये योरपीय विज्ञान और बात है । प्रदाताओं में अधिकांश उन व्यक्तियों को पायेंगे, शिल्प का कुछ ही वर्षों में सीख लेगा। इसके सत्ताईसजिनके वंश से उक्त घटना का सम्बन्ध रहा है। कुछ चित्र अट्ठाईस वर्ष के राजशासन में (१८६४ ई०) इसके वीर क्योतो, अोसाका, योकोहामा, नागासाकी आदि शहरों, सैनिक चीन ऐसी प्रबल शक्ति को चारों खाने चित कर रेलवे, सेना, जल-सेना आदि विभागों तथा कितनी ही दुनिया को चकित कर देंगे। और ३७-३८ वें वर्ष (१६०४-५ कम्पनियों और बैंकों द्वारा भी प्रदान किये गये हैं। ई०) में तो विशालकाय रूस अपनी सारी शक्ति लगाकर पहले चित्र में वह अस्थायी जन्मशाला दिखलाई भी नतमस्तक हो जायगा; और सारी दुनिया उसके देश को गई है जो कुमार के नाना तदायोशी नकायामा के प्रथम पंक्ति में जगह देने के लिए उत्सुक होगी। कल उसे क्योतो निवास-स्थान में खास तौर से बनाई गई थी। अपाहज और ज़नाना कह कर हँसी उड़ानेवाले आज उसके | विवरण-पत्रिका बतला रही है- सम्राट मेइजी सम्राट साथ हाथ मिलाना अपने लिए गौरव समझेंगे । पैंतालीसवें । कामेई के द्वितीय पुत्र का जन्म ३ नवम्बर १८५२ ई० को वर्ष (१९१२ ई०) में मरने के समय वह अपनी राष्ट्रीय एक बजे दोपहर के करीब..... क्योतो में हुआ था। शक्ति की धाक के साथ संसार के बाजारों में अपने देश के Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara Surat www.umaragyanbhandar.cpreet
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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