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________________ PUBLISHESITA BESH RRERTAL BIPI तोक्यो का नम्बर संसार में तीसरा है। इस लेख में श्री राहुल जी ने उसी की वर्तमान उन्नति का वर्णन किया है। जापान से आप कोरिया, मंचूरिया होते हुए रूस जायगे। आगे हम क्रमश: इन देशों के सम्बन्ध में भी आपके विद्वत्ता पूर्ण लेख प्रकाशित करेंगे। तोक्यो—एक सड़क] जगह चौड़ी सड़कें निकाली गई। जहाँ भूकंप से पूर्व शहर १६ मई को हमने ४७ रोनिन् की समाधियों को देख के क्षेत्रफल का ११६ सैकड़ा सड़कों और गलियों के लिए कर नवीन जापान के निर्माता सम्राट मेइजी की समाधि छोड़ा गया था, वहाँ अब वह २७ सैकड़ा है। शहर का देखने गये। समाधि से यह न समझिए कि यहाँ क्षेत्रफल २१३ वर्गमील है। नगर के बीचो-बीच में राजभवन है। पहले यहाँ शोगुन के महल थे। महल के चारों ओर गहरी खाई है, जिसमें बारहों मास पानी भरा रहता है। देवदार तथा दूसरे वृक्षों तथा मखमली घास के कारण यह एक अत्यन्त रमणीक स्थान है। किसी समय सुमिदा नदी शहर की सीमा रही होगी, किन्तु अब दर्जनों पुलों से उसे पार करके शहर बहुत आगे तक बढ़ गया है । तोक्यो समुद्र-तट पर है, और यहाँ एक बन्दरगाह भी है । तो भी पानी अधिक न होने से बड़े जहाज़ यहाँ नहीं पहुँच सकते । कोई दूसरा स्थान होता तो सरकार खोदकर उसे गहरा भी बनाती. किन्तु यहाँ उस मेहनत का क्या भरोसा ? अाज करोड़ों रुपये लगाकर गहरा किया जाय, और कल भूकंप आकर एक मिनट में समुद्र की पेंदी को ऊँची कर दे। इसका ही फल है कि जहाज़ों का बन्दर होने से योकोहामा एक समृद्ध शहर बना हुआ है। लेखक, श्रीयुत राहुल सांकृत्यायन ३१९ www.umaragyanbhandar.com.
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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