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________________ २७४ सरस्वती [भाग ३६ की मध्यवर्ती सीमा निश्चित नहीं है। इसका निश्चय उलवल की घटना को हुए आज आठ मास करने के लिए अँगरेजों और अबीसीनियावालों का हो गये हैं। इस अवधि में स्थिति अधिक पेचीदा एक कमीशन उलवल में बैठा हुआ था। उलवल हो गई है। सन १९२५ में इटली की अबीसीनिया सोमालीलेंड की पश्चिमी सीमा से पचास मील को हड़पने की इच्छा में फ्रांस बाधक था। आज इधर छोटा-सा शाद्वल (ओसिस) है। एक दिन कुछ सन् १९३५ में वह उसका समर्थक है। योरप में इटालियन उलवल में पहुंचे। उन्होंने अबीसीनिया जर्मनी के मुकाबले में फ्रांस इटली की मदद चाहता के तम्बुओं पर फायर किया। इससे १०७ अबीसी- है। अफ्रीका में उसने इटली को सुविधायें देकर नियनों की जानें गई और पचास से अधिक जख्मी योरप में अपना पक्ष प्रबल कर लिया है। इस साल हुए। इस फायर के समय स्वयं कैप्टन किम्मारुटा के शुरू में हुए फ्रांस-इटली के समझौते का मुख्य वारडेर में थे। यह स्थान भी अबीसीनिया में है। आधार यही है। इस समझौते के अनुसार फ्रांस ने फायर के बाद ही उलवल पर इटली के दो हवाई इटली को अवीसीनिया में मनमानी करने की - जहाज मँडराते दिखाई दिये। अँगरेज़ और अबी- स्वीकृति दे दी है। साथ ही अपने सोमालीलेंड का सीनियावाले दोनों इस घटना से विचलित हुए। उत्तरार्द्ध भी उसने इटली को सौंप दिया है। जिबूती दोनों ने किम्मारुटा को पत्र लिखा । कैप्टन किम्मा- से अदिसअबाबावाली रेल-लाइन में भी फ्रांस ने मटा ने उत्तर दिया कि उलवल और वारडेर दोनों इटली को साझीदार बना लिया है। इस प्रकार स्थान इटली के हैं। यहाँ बैठकर ब्रिटिशों तथा मुसोलिनी ने अपने मार्ग को निष्कण्टक कर अबीसीनियनों का मंत्रणा करना उचित नहीं है। लिया है। इधर तो उसने यह पत्र लिख दिया, उधर मुसोलिनी इटली फ्रांस की मूक सहमति पाकर अबीको किम्मारुटा ने खबर दी कि अबीसीनिया की सीनिया से लोहा लेने के लिए तैयार हो गया है, फौज ने इटली के कुछ गाँवों पर हमला किया है, लेकिन ब्रिटेन, जापान व अमेरिका इस विषय में इससे दोनों ओर के आदमी आहत हुए हैं। उसके साथी नहीं हैं। यह वह खूब जानता है। ____उलवल की इस घटना से सारे इटली में उत्ते- अबीसीनिया के दक्षिण, पश्चिम तथा उत्तर में जना फैल गई। मुसोलिनी कई वर्ष से ऐसे मौके की ब्रिटेन का साम्राज्य फैला हुआ है। इटली के प्रबल प्रतीक्षा में ही थे। उन्होंने अबीसीनिया के सम्राट हो जाने से ब्रिटेन के स्वार्थों को भारी धक्का लगेगा। को कड़ा पत्र लिखा। इस पत्र में तीन शर्ते थीं- दूसरी ओर ताना झील के निकट के अमेरिकन । १-उलवल की घटना के लिए खेद प्रकाशित किया बाँध के कारण वह अबीसीनिया से भी खुश नहीं जाय । उस प्रान्त की अबीसीनियन सेना इटालियन है। कारण यह है कि इस बाँध के बन जाने से . झण्डे को सलाम करे। २-अबीसीनिया दो लाख ब्ल्यूनाइल का पानी सूडान व मिस्र में न जा सकेगा। डालर हरजाने के दे। ३–हमला करनेवाले अबी- नील नदी के जल पर ही मिस्र की कपास की फसल सीनियन फ़ौज से निकाल दिये जायँ । इस पत्र के निर्भर है। पिछले मार्च में ब्रिटेन अपना जेला । अनुसार अबीसीनिया के सम्राट्ने इटालियन झण्डे की बन्दरगाह देकर अबीसीनिया को प्रसन्न करना सलामी तो क़बूल कर ली, लेकिन बाक़ी शर्तो को मानने चाहता था। उसका ख़याल था कि अबीसीनिया से इनकार कर दिया। इससे नाराज होकर मुसोलिनी इसके बदले में इटली को तथा उसे आर्थिक सुविधायें ने खुले आम युद्ध की धमकी दे दी और निर्बल अबी- दे देगा जिससे यह झगड़ा खतम हो जायगा, लेकिन सीनिया ने इस मामले की अपील राष्ट्र-संघ को कर दी। इस शर्त को इटली ने ही नहीं माना। इटली को Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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