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________________ हास-पारहास " म दिन में एक इक पर बैठा मैं चुप हो रहा । मैंने सोचा, शायद जवानी युद्ध चला जा रहा था। उस पर कांग्रेस की मर्यादा के अन्दर आता है। ऐसा न दो आदमी और भी बैठे थे। होता तो वार्पिक चुनाव में कांग्रेसमैन आपस में उन दोनों में एक साहव कुत्तों की तरह भों भों करकं क्यों लड़ने ? कदाचित शरावी थे और दूसरे कांग्रे- कांग्रेसमैन को मुसोलिनी की तरह सदा युद्ध चाहिए। समैन । वे दोनों नशे में थे। जब सरकार सामने नहीं होगी तब वे आपस में 22 शरावी शराब के नशे में लड़ेंगे। और कांग्रेसमैन देशभक्ति के नशे में । रास्ते में कांग्रेस- x x मैन माहव ने शरावी को उपदेश देना शुरू किया--- कांग्रेस का आगामी अधिवेशन लखनऊ में "तुम शराव क्यों पीत हो ? पैमा क्यों नहीं बचाने ?' होगा। इस सूबे के कांग्रेसमैन वहाँ जमा हो कर इस पर शगवी ने उत्तर दिया-"तुम इक्के पर क्यों इम मुस्तैदी के साथ आपस में लड़ रहे हैं कि उनसे चलन हो ? पैदल चलकर पैमा क्यों नहीं बचात ?" लाहौर के सिव और मुसलमान लड़ने का सबक़ ले सकते हैं। वहुत सम्भव है कि इस वर्ष कांग्रेस वहम में बात बढ़ गई और झगड़ा होने की लाहौर के मिक्खों और मुसलमानों को अधिकानौवत आगई। मैंन कांग्रेसमैन माहब से कहा धिक संख्या में मेम्बर बना ले। क्योंकि जब आपस "आप ही चुप हो जाइए, व्यर्थ झगड़ा क्यों बढ़ाते में लड़ना ही है तब लोग कांग्रेस के झंड के नीचे हैं ?" वे कुछ उत्तेजित हालत में थे, वोले-“कांग्रेस आकर क्यों न लड़े ? इससे इज्ज़त भी मिलेगी और मैन झगड़े से नहीं डरता। जो इतनी बड़ी सरकार चित्त का शान्ति भी। स मोर्चा ले सकता है उसकं मामने यह शराबी क्या चीज़ है।" हिन्दू-महासभा, मुसलिम-लीग, वर्णाश्रम__मैं यह जानता है कि कांग्रम का उद्देश है शान्ति- स्वराज्यमंघ, आय्य-समाज, सिक्ख-लीग, ईमाईमय उपायों से स्वराज्य प्राप्त करना। उसका आन्दो- संघ -ये सब व्यय में साम्प्रदायिकता का अपयश लन अहिंसा, सत्य और संयम पर आश्रित है। मैंन मोल ले रहे हैं । जब कांग्रेस के अन्दर रहकर वे यह वान कांग्रेसमैन से कही। वे बोले—'मैं कहाँ इजत के साथ दिल खोल कर लड़ सकते हैं और तलवार चाँधे फिर रहा हूँ ? आप ही बताइए आपस में सिर-फुटीवल भी कर सकते हैं तब पता कि क्या मैं असत्य भापण कर रहा हैं। रही नहीं, वे कांग्रस के अन्दर आकर राष्ट्रवादी कहे जाने संयम की वात सो अगर मैं संयम से काम न का सम्मान क्यों नहीं प्राप्त करत? अपन राम तो लेता तो इस शरावी को अब तक इक्के के नीचे आज ही कांग्रेस के मेम्बर बनने जा रहे हैं । काम ढकल दिया होता।" भरा और बे-लगाम हुए। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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