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________________ तत्कालीन छोटे राजनुं । [ १४९ " सत्कारित किया था । इनसे तीसरी पीढ़ीमें राजा जगदेव हुए थे । जिन्होंने द्वारा समुद्र के होयसल राजाओं पर आक्रमण किया था, किन्तु उसमें वह सफल नहीं हुये थे। इस घटना के पश्चात् सान्तार राजधानी कळस ( मुडगेरे तालुक़ ) में स्थापित की गईं थी, जिसके कारण सन् १२०९ से १५१६ ई० तक सान्तार - राज्य कलसराज्य' के नामसे प्रसिद्ध हुआ था । कळस राजधानीसे जिन राजाओंने राज्य किया, उनमें से दो रानियोंने सन् १२४६ से १२८१ तक शासन-सूत्र संभाला था। इनके नाम जाकल और काळळ - महादेवी थी । हूमछ ( नगर तालुका) के शिलालेख नं० ३५ (१०७७ ई०) में सान्तार वंशकी जो वंशावली दी है, उससे इस वंश के निम्नलिखित राजाओं का पता चलता है । हिरण्यगर्भ (विक्रम सान्तार) की रानी बनवासी राजा कामदेवकी पुत्री लक्ष्मीदेवी थीं। उनके पुत्र चागी सांतार थे, जिनकी भार्या एंजलदेवी थीं । वीर सांतार उन्हीं के पुत्र थे और उनकी रानी जाकलदेवीसे वन्न! सांतारका जन्म हुआ था; जिनकी रानी नागलदेवी थीं । उनके पुत्र नन्निसांतार राजा हुए, जिनक छोटे भाई कामदेव थे । कामदेवकी रानी चंदलदेवी थीं; जिनकी कोख से त्यागी सांतार जन्मे थे । नन्निसांतारकी मार्या सिरिया देवी थीं, जिनके पुत्र रायसांतार हुए थे । रायकी रानीका नाम अक्कादेवी था और वह चिक्कवीर सांतारकी माता थीं। चिक्ककी रानी विज्जलदेवी से अम्मनदेव हुए थे, जिनकी भार्या होचळदेवी १ –मेकु०, पृष्ठ १३०-१४०. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035246
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1938
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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