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________________ - ४६ ] संक्षिप्त जैन इतिहास | परस्पर संधि करादी | लव कुश अयोध्या में पहुंचे। सीताकी अनि परीक्षा हुई जिसमें उनकी सहायता देवोंने की। रामने सीता से घर चलनेकी प्रार्थना की, परन्तु उन्होंने उसे अस्वीकार किया और पृथ्वीमति आर्यिका के निकट साध्वी होगई। साध्वी सीताकी वन्दना राम लक्ष्मणने की । इस प्रकार दक्षिण भारत से राम और लक्ष्मणका सम्पर्क था । * राजा ऐलेय और उसके वँशज । भगवान् मुनिसुव्रतनाथजी के समयमें सुव्रत के पुत्र दक्ष नामके राजा हुये थे । यह हरिवंशी क्षत्रिय थे। उनकी रानीका नाम इला था । उनसे राजा दक्षके ऐलेय नामका पुत्र और मनोहरी नामक पुत्री हुई थी । पुत्री अतिशय रूपवती थी। राजा दक्ष स्वयं अपनी पुत्रीपर आसक्त था । उसने धर्ममर्यादाका लोप करके मनोहरीको अपनी पत्नी बना डाला ! इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि दक्षके विरोधी स्वयं उसके परिजन होगये । रानी इला अपने पुत्र ऐलेयको सरदारों सहित लेकर विदेशको चल दी। अनीतिपूर्ण राज्यमें कौन रहे ? दुर्ग देशमें पहुंचकर उन्होंने इलावर्द्धननगर बसाया और वहां ही वे रहे । ऐलेय हरिवंशका तिलकस्वरूप प्रमाणित हुआ । उसने अपने शौर्य और पुरुषार्थसे ताम्रलिप्त नगर बसाया और दक्षिण दिग्विजयके लिये वह नर्मदातट पर आया । वहां उसने माहिष्मती नगरीका नींबारोपण किया। वहीं उसकी * उपु० पर्व ६७ व प्राबै० भा० २५० ९०-१५० । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035245
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1937
Total Pages174
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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