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लीजिये।
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प्रिय मित्र प्रा० हीरालालजी ! अपने प्रिय विषयकी यह एकमात्र कृति-प्रेम___ भेंट स्वीकार कीजिये
और इससे भी सुन्दरश्रेष्ठ स्वकीय कृतिसे साहित्य-उदनको समुन्नत बनाइये। -कामताप्रसाद जैन।
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