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संक्षिप्त जैन इतिहास।
द्वितीय भाग-द्वितीय खंड। ( सन् २५० ई० पूर्वसे सन् १३०० ई० तक )
प्राक्कथन । इतिहासका कार्य सत्य घटनाको प्रकट करना है । जो बात
जैसे घटित होचुकी है. उसका वैसा ही इतिहासका महत्व । वर्णन करना इतिहास है । साहित्य जगतमें
पुरातन कथा, पुराण. जनश्रुति आदिका संग्रह इतिहास कहलाता है। सत्य उसका मूलाधार है । सत्य इतिहास ही सजीव इतिहास है और वहीं इतिहास अपने उद्देश्यमें सफल होता है। मानव जगत सत्य इतिहाससे ही ठीकर शिक्षा ग्रहण कर सकता है। अतएव मानव हितके लिये यथार्थ इतिहासका निरूपण होना अत्यन्त आवश्यक है । प्रत्येक र टू और जातिको अपने पूर्वजोंका वास्तविक इतिहास ज्ञात होनेसे. वह अपने गौरव, प्रतिष्ठा और शक्तिको प्राप्त करनेके लिये सचेष्ट होता है। इतिहास उस राष्ट्र और जातिमें नया जीवन, नई स्फूर्ति और नये भावोंको जन्म देता है। वह शिक्षित समाजमें एक युग प्रवर्तकका कार्य करता है।
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