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(१३)
और
विरुद्ध
विरुद
नागवंश
नागवशी ५५-५६ ५२-५६ शास्त्रोंको
शास्त्रोंके नहपानको किशा
किया २७५-२७९ २७८-२७९
१८ वें ___Shulbhadra's Sthulbhadra's १७ 'कठिन है' शब्दके आगे पढ़ों "मूलमें दिगंबर जैनी
अपने प्राचीन नाम निर्ग्रन्थ से ही प्रसिद्ध रहे। श्वेतांबर अपनेको 'श्वेतपट' कहते थे, परन्तु दिगंबर तब 'निग्रंथ ' नामके ही अभिहित थे; जैसे कि कादंबर
वंशी राजाओंके ताम्रपत्र आदिसे प्रगट है।" १९ (१४८-४९) (१। ४८-४९) भूमूर्ति
__ मुर्ति " सेषित
से भूषित वर्णनने
वर्णनसे प्रन Matbera
Mathura तथापि
तथा
७४
७६
२३
उन
श्री
८८
१६
होना २७९७
वण्णदेव ९८१ मल्लिषेषण Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
होता २७९) वप्पदेव
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