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________________ (८) एइ०= एपिप्रेफिया इन्डिका' । एइमे. या 'मेएइ.'-'एन्शियेन्ट इन्डिया एज डिस्काइन बाई मेगस्थनीज एण्ड ऐरियन'-(१८७७) । एइजै०= एन इपीटोम ऑफ जैनीज्म'-श्री पूर्णचन्द्र नाहर एम० ए०। एमिक्षट्रा०-'एन्शियेन्ट मिड-इंडियन क्षत्रिय ट्राइन्स'-डॉ. विमलाचरण लॉ (कलकत्ता)। __ ऐरि०='ऐशियाटिक रिसचेंज'-सर विलियम जोन्स ( सन् १७९९ * १८०९)। ऐइ० एन्शियेन्ट इन्डिया एज डिस्काइन्ड बाइ स्ट्रैबो, मैकक्रिन्डिल (१९०१)। - कजाई०-कनिंघम, जॉगरफी ऑफ एन्शियेन्ट ईन्डिया'-( कलकत्ता १९२४ )। । कलिल'ए हिस्ट्री ऑफ कनारीज़ लिट्रेचर'-ई० पी० राइस (H. LS. ) 1921. कसू०- कल्पसूत्र' मूल (श्वेताम्बरीय आगम ग्रंथ )। काले०= कारमाइकल लेक्चर्स-डॉ० डी० आर० भाण्डारकर । कैदि६० कैम्ब्रिज हि ट्रो अफ इन्डिया'-ऐन्शियेन्ट इंडिया, भा. १-पसन सा० (१९२२)। गुमापरि०=गुजराती साहित्य परिषद रिपोर्ट-सातवी । ( भावनगर #. १९८२ )। गौबु० गौतम दुब'-के. जे. सॉन्डर्स (H. I. S.) । चभम = चंद्रगज भंडारी कृत भगवान महावीर ।' जबिओसोc='जर्नल ऑफ दी विहार एण्ड ओडीसा रिसर्च सोसाइटी। अम्बू०जम्बृकुमारचरित (सूरत वीगद २४४०)। जमीसो०-जनल ऑफ दी मीथिक सोसाइटी-गलोर । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035243
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 02 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1932
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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