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संक्षिप्त जैन इतिहास प्रथक्क भाग ।
समुद्रके अन्तर्गत हैं, जिसके मध्य में भूमि ऊपरको उठी हुई है और उसके चहुँओर समुद्र है। संभवतः इस उठी हुई जमीन के कारण आज एक मनुष्य पूर्वकी ओर चलता हुआ अपने से पश्चिम में स्थित स्थानपर पहुंच जाता है और यही कारण है कि अभी उत्तर और दक्षिण ध्रुवका ठीक पता नही लग पाया है। जो हो, आजकी खोज की हुई भूमिके अतिरिक्त भी और भूमि होना जैन भूगोल बतलाता है, जिसका पता हम लोगोंको अभीतक नहीं लगा है ।
भारतवर्षका संक्षिप्त विवरण ।
वर्तमान भौगोलिकोंके मतानुसार केवल भारतवर्ष ही आर्यखण्ड है और उसे आर्यावर्त अथवा भारतवर्षकी संज्ञा से अंकित किया है । इस भारतभूमिको विभिन्न मनुष्योंने अपनी २ भाषा में विविध नामोंसे पुकारा है। मुसलमान लेखकोंने इस देशका नाम हिन्द और हिन्दुस्तान स्वखा था । ' हिन्दुस्तान' शब्द एक समास है जो अफघानिस्तान, बलोचिस्तान, तुर्किस्तान और जाबिलिस्तान के ढंगपर दो शब्दोंसे मिलकर बना है । और हिन्द वह पुराना नाम है जो सब बिदेशी जातियोंने बहुत प्राचीन कालसे इसे दे रक्खा है। पुरानी रोमन और यूनानी पुस्तकोंमें इस देशके नाम इण्डो, इण्डीज और इण्ड आदि आदि लिखे हैं । 'हिन्दू' उन्हीं शब्दोंका बिगड़ा हुआ रूप है । बहुत सम्भव है कि इसका यह नाम इण्डस नदीके कारण पढ़ गया हो क्योंकि उसको संस्कृत में सिन्धु नदी कहते हैं । इसी व्युत्पत्तिके कारण यूरोपीय भाषाओं में इस देशको इण्डिया कहा है।' *
* ला • लाजपतरायका " भारतवर्षका इतिहास " भाग १ बृ० ३७
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