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: प्रस्तावना ।
[ २९ हो, परन्तु यदि ऐसा था तो हिन्दू आयन अपनी भाषाको द्राविड़ श्रोतके शब्दों और मुहावरोंसे अमिश्रित रखने में भारी सफलता प्राप्त की।
आधुनिक द्राविड़ भाषाओंमें संस्कृतके असंख्य शब्द हैं, परन्तु क्या प्राचीन और क्या नूनन संस्कृतमें द्राविड़ भाषाओंके शब्दों और महावरोंकी सूरततक दिखाई नहीं देती । यदि बे होंगे भी तो ऐसे कम कि उनका होना न होना समान है। उत्तरीय और पश्चिमी भारतकी सभी भाषाएँ अर्थात् बङ्गला, हिन्दी, पञ्जाबी, गुजराती और मराठी अपभ्रंश प्राकृत भाषासे निकली हैं। हां, उर्दूमें अरबी, फारसी और तातारी शब्दों तथा मुहावरोंकी बहुत कुछ मिलावट है. व बोलचालकी उर्दूमें भी सौ पीछे ७५ से भी अधिक शब्द निश्चयपूर्वक संस्कृतके हैं। x हिंदी भाषाके अब तकके इतिहाससे यह प्रमाणित है कि प्राचीन हिंदी भाषा विशेषकर अपभ्रंश प्राकृतसे मिलती जुलती थी । इसलिए यह मानना युक्तिसंगत प्रतीत होता है कि प्राकृत भाषा से ही संस्कृत और हिन्दी उद्भवित हुई है और उनसे ही अन्य भारतीय भाषाओं की उत्पत्ति हुई है। तिसपर इस विषय में मि० बिन्सेन्ट स्मिथ साहब लिखते हैं कि
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The most important family of Indian languages-the Aryans-comprises all the principal languages of Northern and western India, descended from ancient vernaculars or Prakrits. Oxford History of India p. 12.) भावार्थ - उत्तर पश्चिमीय भारतकी समग्र आर्य भाषाएँ प्राचीन प्राकृत भाषाओंसे उद्भावित हुई हैं ।
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x पूर्व पुस्तक भाग १ पृष्ठ २३.
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