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________________ सनातनजैन ग्रंथमाला. KHERE प्रथमगुच्छक इसमें १ बृहत्स्वयम्भूस्तोत्रम् २ रनकरंडश्रावकाचार ३ पुरुषार्थसिद्धउपाय ४ आत्मानुशासनम् ५ तत्त्वार्माधिगममोक्षशास्त्रम् ६ तत्वार्थसार (तत्वार्थसूत्रकारिका ) ७ आलापपद्धतिः ८ नाटकसमयसारकलशाः (अध्यात्मतरंगिणी) ९ परीक्षामुखन्यायसूत्राणि १० आतपरिक्षा ११ आप्तमीमांसा वसुनं दिसैद्धांतिकवृतिसंहिता १२ युकत्तयनुशासनम् १३ नयविवरणम् १४ समाशधितकम् सटिप्पणं इसप्रकार १५ संस्कृत ग्रंथ संग्रह करके जपाये है. (मूल्य १) डॉ. म.) अध्यात्मकल्पद्रुम. यह ग्रंथ श्वेतांबर जैनाचार्य मुनि सुंदरसूरिविरचित धनविजयगणिविरिचित विषमपदाधिरोहिणी टिप्पणिसहित है. सांसारक विषयोंसे विरक्त कराकर अध्यात्मरसमें मग्न करानेके लिये उपदेश देनेको यह एक अपूर्व सुंदर ग्रंथ है. इसका अहोरात्र श्रवण पठन मनन करनेसे चित्तको अतिशय शांन्तिसुखकी प्राप्ति होती है. कविवरनेइसे समताधिकार, स्त्रीममत्वमोचनाधिकार, अपत्यममत्वमोचनाधिकार, धनममत्वमो. चनाधिकार, देहममत्वमोचनाधिकार, विषयप्रमादत्यागाधिकार कषायत्यागाधिकार, शास्त्रगुणाधिकार, चित्तदमनाधिकार, वैराग्योपदेशाधिकार, धर्मशुद्धयधिकार, गुरुदेवतत्त्वाधिकार, यतिशिक्षोपदेशाधिकार, मिथ्यात्वादिनिरोधोपदेशाधिकार, शुभवृत्ति शिक्षोपदेशाधिकार, साम्यसर्वस्वाधिकार इसप्रकार १६ अधिकारोमें विभक्त २७२ अतिशय मनोहर पद्योंमें यह ग्रंथ पूर्ण किया है. संशोधक महाशयने परिशिष्टमें इस ग्रंथांतर्गत जिनधर्मसंबंधी गूढविषयोंकों सविस्तर वर्णन और विलक्षणरीतिसे दर्पणवत प्रगटकरदिया है जिस्से यह ग्रंथ सर्व साधारणके पढने योग्य सरल होगया है जो संस्कृतज्ञ विद्वान जिनधर्म सम्बंधी समीचीन उपदेशों और विलक्षण उपदेश शैलीस अपरिचित हैं और संसारयातनासे पीडित हैं उनको एक एक प्रति प्रइस ग्रंथकी अवश्य हो ग्रहणकर अपने आकुलितचितको शांन्ति प्रदान करें. मूल्य ॥) डॉ. म. -) तुकाराम जावजी. निर्णयसागर प्रेसके मालिक. कालबांदवीरोड,-मुंबई Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035241
Book TitleSanatan Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1907
Total Pages412
LanguageEnglish, Hindi, Sanskrit, Gujarati
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, & Book_Gujarati
File Size3 MB
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