SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 96
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री वासुपूज्य स्वामी जैन मन्दिर का संक्षिप्त परिचय का पुन: उदयकाल आया..... प. पू. आध्यात्मयोगी आचार्य श्री कलापूर्ण सूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा एवं प. पू. न्यायविशारद, वर्धमान तपोनिधि, गच्छाधिपति आचार्य श्री भुवनभानु सूरीश्वरजी म.सा., प.पू. राष्ट्रसन्त, आचार्य श्री पद्मसागर सूरीश्वरजी म.सा. एवं विद्वान पंन्यास श्री कलाप्रभ विजयजी म.सा. के आशीर्वाद से ..... और तीर्थ निर्माण का शंखनाद हुआ। गुरु भगवन्तों का यह स्मरणीय उपकार अनन्त काल तक सदैव ही चिर- स्मरणीय रहेगा। 9 प. पू. तपस्वीसम्राट आचार्य श्री राजतिलक सूरीश्वरजी म.सा., कर्नाटक केसरी प.पू. आचार्य श्री भद्रंकर सूरीश्वरजी म.सा., मेवाड़ देशोद्धारक प.पू. आचार्य श्री जितेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा., प्रवचनकार आचार्य श्री वीरसेन सूरीश्वरजी म.सा., युवक जागृति प्रेरक प.पू. आचार्य श्री गुणरत्न सूरीश्वरजी म.सा., प्रशान्त मूर्ति प.पू. आचार्य श्री नरदेवसागर सूरीश्वरजी म.सा., शान्तिदूत आचार्य श्री नित्यानन्द सूरीश्वरजी म.सा., उपाध्याय श्री धरणेन्द्र सागरजी म.सा., पंन्यास श्री भुवनसुन्दर विजयजी म.सा., पंन्यास श्री कीर्तिचन्द्र विजयजी म.सा., मुनि श्री कल्पतरु विजयजी म.सा., आध्यात्मयोगी आचार्य श्री कलापूर्ण सूरीश्वरजी म.सा. के समुदाय की विदुषी सा. श्री नित्यधर्मा श्रीजी म.सा. एवं सा. श्री प्रफुल्लप्रभा श्रीजी म.सा. आदि गुरुभगवन्तों की असीम कृपा का सौभाग्य संघ को प्राप्त हुआ । पूज्य श्री की असीम कृपा एवं आशीर्वाद से ही भव्य - सुन्दर, ऐतिहासिक नूतन मन्दिर का निर्माण कार्य प्रगति पर है एवं शीघ्र ही नूतन मन्दिर, आध्यात्मिक नगरी अजमेर के ऐतिहासिक जैन लघुतीर्थ का स्वरूप प्राप्त कर लेगा। संघ सभी गुरु भगवन्तों का सदैव ऋणी रहेगा। लगभग 400 साधु-साध्वियों ने विहार क्रम में अजमेर स्थिरता के समय अपने पाद-स्पर्श से इस क्षेत्र को पावन किया है एवं निर्माणाधीन Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035236
Book TitleSammetshikhar Vivad Kyo aur Kaisa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanraj Bhandari
PublisherVasupujya Swami Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1998
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy