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________________ 4 श्री वासुपूज्य स्वामी जैन मन्दिर का संक्षिप्त परिचय नूतन जैन मन्दिर का परिचय स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् देश में बड़े-बड़े शहरों का खूब विकास हुआ । आबादी बढ़ी, नगरों के साथ नई-नई कॉलोनियाँ बढ़ी और उनका सम्बन्ध शहरों से हो गया। राजस्थान प्रान्त के हृदय एवं आध्यात्मिक नगरी अजमेर में भी चारों ओर नई-नई कॉलोनियाँ बनने से वह विस्तृत हो गया । अजमेर से पुष्कर-मेड़ता-नागौर-बीकानेर मार्ग स्थित पुष्कर रोड पर भी एक के बाद एक नई जैन कॉलोनियाँ बनने से पुष्कर रोड - क्षेत्र जैन श्वेताम्बर समाज का एक प्रमुख गढ़ सा बन गया। शहर के अन्य मन्दिर इस क्षेत्र से लगभग तीन कि.मी. दूर हैं, जहाँ लोग इच्छा होते हुए भी नित्य न जा पाते हैं। आत्म-कल्याण के लिये परमात्मा के दर्शन-पूजन, आराधनासाधना-उपासना के लिये मन्दिर ही एक पवित्र एवं श्रेष्ठ धार्मिक स्थल है । अत: नई जैन कॉलोनियाँ बनने के साथ ही नया मन्दिर बनना नितान्त आवश्यक व अनिवार्य हो गया था । अतः पुष्कर रोड - क्षेत्र में जैन मन्दिर निर्माण की प्रारम्भिक प्रेरणा 12 जनवरी, 1983 को प. पू. राजस्थान केसरी, आचार्य भगवन्त 1008 श्री मनोहर सूरीश्वरजी म. सा. ने दी। पुष्कर रोड के जैन धर्मावलम्बियों के प्रबल पुण्योदय से प. पू. आचार्य श्री मनोहर सूरीश्वरजी म. सा. ने 12 जनवरी, 1983 को महावीर कॉलोनी स्थित समाजसेवी श्री मोतीलालजी मंगलचन्दजी भण्डारी (सोजत वालों) के निवास पर स्थिरता की। आचार्य श्री ने धार्मिक चर्चा समय कहा कि इस क्षेत्र में नूतन मन्दिर निर्माण हेतु जमीन निःशुल्क मिल जाये तो नूतन मन्दिर का निर्माण कार्य सहज ही सम्पन्न हो सकता है । उपस्थित बन्धुओं में श्री पुखराज पोखरणा, मंत्री - श्री वीर लोकाशाह Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035236
Book TitleSammetshikhar Vivad Kyo aur Kaisa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanraj Bhandari
PublisherVasupujya Swami Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1998
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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