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________________ श्री वासुपूज्य स्वामी जैन मन्दिर का संक्षिप्त परिचय ... IN एक सत्य ......इतिहास के पृष्ठों के अनुसार एक सत्य यह भी है कि..... तथ्यों से सुस्पष्ट है कि अजमेर प्रखण्ड जैन धर्म व संस्कृति का एक वैभवशाली क्षेत्र भगवान श्री महावीर स्वामी के समय में रहा है।..... और भगवान श्री महावीर स्वामी का इस क्षेत्र से अवश्य ही विहार हुआ है। कालांतर की इस भव्य नगरी का अब पुनः उदयकाल गुरु-भगवन्तों की असीम कृपा से आया एवं तीर्थ निर्माण का शंखनाद हुआ।..... इतिहास के पृष्ठों से लगभग 50 वर्ष पूर्व प.पू. पंजाब केसरी आचार्य भगवन्त 1008 श्रीमद्विजय वल्लभसूरीश्वरजी म.सा. ने अजमेर नगर में श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान को मूलनायक के रूप में विराजमान करने का सुझाव जैन संघ, अजमेर के हित में दिया था।इसी क्रम में लगभग 35 वर्ष पूर्वत्रिपुटिक श्रीदर्शनविजयजी म.सा. एवं लगभग 25 वर्ष पूर्व आचार्य श्री विजयनन्दनसूरीश्वरजी म.सा. ने भी उपरोक्त सुझाव का समर्थन किया था। -श्री जैन श्वेताम्बर श्री संघ, अजमेर के प्रपत्र से साभार Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035236
Book TitleSammetshikhar Vivad Kyo aur Kaisa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanraj Bhandari
PublisherVasupujya Swami Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1998
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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