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________________ "सम्मेद शिखर-विवाद क्यों और कैसा?" 57 दिगम्बर मतावलम्बी प्रतिनिधि के रूप में भाग लेते हुए कहा कि जब तक सम्मेत शिखरजी प्रबन्धन में दिगम्बरों को बराबर का प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा तब तक दिगम्बरों के वास्ते वहाँ पूजाअर्चना करना भी अब दुर्लभ है। श्री जैन ने आगे कहा कि लालू यादव ने प्रस्तावित अध्यादेश के माध्यम से सम्मेत शिखर जी प्रबन्धन बोर्ड में दिगम्बरों को भी बराबर का प्रतिनिधित्व देने का निर्णय लेकर सराहनीय काम किया है। उक्त लेख में स्पष्ट उल्लेख किया गया है ‘‘सम्मेत शिखरजी के प्रबन्धन में अपनी शिरकत के लिए जो दिगम्बर मतावलम्बी अरसे से परेशान थे, वे इस बात से काफी प्रसन्न हुए कि नये प्रस्तावित अध्यादेश में प्रबन्धन बोर्ड में उन्हें भी बराबरी का हक दिया गया है। श्वेताम्बरों को इसी बात का झटका लगा कि जो दिगम्बर मतावलम्बी उन्हें अदालत में मात नहीं दे सके वे लालू यादव के इस फैसले के माध्यम से उन्हें मात दे बैठे।'' कितनी बड़ी विडम्बना है कि कभी पुराने फरमानों को गैर जिम्मेदारी पूर्ण तरीके से फर्जी बतलाया जाता है, कभी यात्रियों की असुविधाओं को लेकर बवन्डर खड़ा किया जाता है तो कभी यह मांग की जाती है कि जब तक सम्मेत शिखरजी प्रबन्धन में दिगम्बरों को बराबर का प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा तब तक दिगम्बरों के वास्ते वहाँ पूजा - अर्चना करना भी मुश्किल है। उक्त तीनों ही मन-घडन्त बातें, फिर भी प्रबन्धन में हिस्सेदारी पाने का अधिकार नहीं दिलाती है। इसलिए अदालतों Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035236
Book TitleSammetshikhar Vivad Kyo aur Kaisa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanraj Bhandari
PublisherVasupujya Swami Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1998
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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