________________
"सम्मेद शिखर-विवाद क्यों और कैसा?"
शासनदेव से प्रार्थना करता हूँ। उज्जैन (म.प्र.)
-कान्तिलाल संघवी ता. 6 जून 1998
ट्रस्टी-श्री रिषभदेव छगनीराम पेढ़ी पारमार्थिक ट्रस्ट, उज्जैन एवं प्रादेशिक प्रतिनिधि-सेठ आनन्दजी कल्याणजी पेढ़ी (अहमदाबाद)
****
• जैन समाज के एक सम्प्रदाय के तथाकथित कुछ नेता सम्मेद शिखर-विवाद को लेकर कानूनी कार्यवाही के अन्तर्गत मनवांछित लाभ प्राप्त नहीं कर पाये तो उन्होंने अपने राजनीतिक प्रभाव के सहारे प्रबन्ध में हक पाने का जो अशोभनीय और निन्दनीय खेल,खेला है वह महान तीर्थस्थल की पवित्रता और जैन धर्म के नाम पर एक कलंक है।
न्याय और ईमानदारी का जोरदार तकाजा है कि सत्यों और तथ्यों पर पर्दा डालकर भ्रामक प्रचार के सहारे जैन-समाज में विघटन के बीज न बोये जायें।
प्रस्तुत पुस्तक "सम्मेद शिखर-विवद क्यों और कैसा?" जहाँ निष्पक्ष एवं प्रबुद्ध लोगों को नये सिरे से सोचने की प्रेरणा देगी वहां आम पाठक को वस्तुस्थिति से परिचित कराने में निश्चय ही वजनदार रूप से सहायक होगी। चैत्रई
-बी.सुभाषचन्द भण्डारी ता. 7 जुलाई 98
इनकम टैक्स प्रेक्टीशनर
*
*
*
*
•आदरणीय जी.आर. भण्डारी के पत्र से यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई कि प्रसिद्ध समाजसेवी एवं सुपरिचित अनुभवी वरिष्ठ पत्रकार श्री मोहनराज सा. भण्डारी सम्मेद शिखर के तथाकथित विवाद के सम्बन्ध में "सम्मेद शिखर विवाद क्यों और कैसा?" नामक पुस्तक लिख रहे हैं। वास्तव में यह कार्य बहुत ही आवश्यक होने के साथ प्रशंसनीय एवं सराहनीय है। मैं हृदय से इसकी अनुमोदना करता हूँ। यह प्रकाशन तो बहुत पहिले हो जाना चाहिए था।
मेरी जानकारी के अनुसार दिगम्बर समाज के कुछ तथाकथित नेताओं के पास 35 श्वेताम्बर तीर्थों की लिस्ट है और उलटे-सीधे रास्तों से प्रबन्ध में हिस्सेदारी प्राप्त करने की योजना है। उन्हें जहां-जहाँ इसमें सफलता नहीं मिले तो वे उन तीर्थों पर सरकारी नियंत्रण को आमंत्रित करने का प्लान बना रहे हैं। इनका एक ही उद्देश्य है कि तीर्थ, श्वेताम्बरों के पास नहीं रहें। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com