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"सम्मेद शिखर-विवाद क्यों और कैसा?"
आचार्य श्री अरिहन्तसिद्ध सूरीश्वरजी म.सा. यह तो सर्व विदित है कि सम्मेद शिखरजी महातीर्थ कई शतकों से श्वेताम्बरों का ही है तथा मालिकाना हक और व्यवस्था उसके पास चली आ रही है। दिगम्बरों को सिर्फ दर्शन-पूजन का हक है। फिर भी दिगम्बर समाज के कुछ तथाकथित नेता प्रबन्ध में हक पाने हेतु जो उलटा-सुलटा राजनीतिक खेल, खेल रहे हैं वह सरासर अन्यायपूर्ण है। सरकार धार्मिक स्थानों में हस्तक्षेप करेगी तो यह भारी जोखिम भरा कदम होगा।
आप सम्मेद शिखरजी के बारे में जो पुस्तक प्रकाशित कर रहे वह निश्चय ही प्रशंसनीय और अनुकरणीय प्रयास है।
हमारी हार्दिक शुभ कामनाएं आपके साथ हैं। तखतगढ़(पाली, राज.)
-अरिहन्तसिद्ध सूरीश्वर ता. 6 जुलाई 1998
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आचार्य श्री वीरेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. श्री महातीर्थ सम्मेद शिखर के संबंध में पुस्तक प्रकाशित करने का आपका सद्प्रयत्न सराहनीय है।
थासन देव उन्हें सबुद्धि दें। आपका प्रयास सफल हो, यही शुभकामना है। मुम्बई (महाराष्ट्र)
-वीरेन्द्र सूरीश्वर ता. 20 जुलाई 1998
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