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"सम्मेद शिखर-विवाद क्यों और कैसा?"
आचार्य पुण्यानन्द सूरीश्वरजी म.सा. यह जानकर आनन्द की अनुभूति हुई कि आप सम्मेद शिखर के तथाकथित विवाद के सम्बन्ध में पुस्तक प्रकाशित करने जा रहे हैं।
सत्यों और तथ्यों से युक्त यह पुस्तक शीघ्र प्रकाशित करें। आपकी भावना अच्छी है।
थासन देव! आपका मनोरथ सफल करें, यही प्रार्थना है । हमारी शुभ कामनाएं आपके साथ हैं। कोल्हापुर (एम.एस.)
-पुण्यानन्द सूरीश्वर ता. 23 जून 1998
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आचार्य श्री कमलरत्न सूरीश्वरजी म.सा. सम्मेद शिखरजी जैसे महान् और पवित्र तीर्थ की हमें हर कीमत पर सजग रह कर रक्षा करनी है। अन्यथा 20 तीर्थंकरों की निर्वाण जैसी पवित्र भूमि दूसरी कहाँ से लाओंगे!
"सम्मेद शिखर विवाद क्यों और कैसा ?' पुस्तक का प्रकाशन एक सामयिक और अति सराहनीय कदम है। इस विद्वतापूर्ण कार्य के लिए हमारा हार्दिक आशीर्वाद। सादडी(पाली, राज.)
-गुर्वाज्ञा से दर्शनरत्न सूरि ता. 5 जुलाई 1998
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