SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 126
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दु ) हस्ती कभी नहीं मिटी, बल्कि बढ़ती ही जाती है । जिन घरों में खटमल मारे जाते हैं, उन घरों में उनका उपद्रव चालू ही रहता है । जहाँ नहीं मारे जाते, वहाँ वर्षों में भी कभी देखे नहीं जाते । सांप बिछू और खटमल की ही बात क्यों ? बाघ, शेर जैसे भयंकर जानवरों को भी जिन जंगलों में शिकार अधिक होती है, उन जंगलों में उनकी हस्ती कभी नहीं मिटी | बल्कि उनकी उत्पत्ति अधिकाधिक होती है; और उनके द्वारा मानव एवं पशुओं का संहार भी अधिक होता है । मानवजाति अपनी मृत्यु संख्या कम करने के लिये दूसरे जानवरों का संहार करती है किन्तु दूसरों के संहार से अपने को सुख कभी नहीं मिल सकता, यह बात भी नहीं भूलना चाहिये । = कुछ वर्ष पूर्व की बात है । गजट आफ इण्डिया का एक अंक देखने में आया था । गवर्नमेन्ट आफ इन्डिया के सेक्रेटरी ने एक वक्तव्य प्रकाशित करते हुये दिखलाया था किः सन् १९२७ में गवर्नमेंट ने १३९०००रु० जंगली जानवरों का शिकार करने वालों को इनाम में दिये और १२५० उ० सांप मारने वालों को इनाम में दिये. इस प्रकार १४०२५० रु० शिकारियों को इनाम में दिया गया। हर इनाम के परिणाम में २५५०० जंगली जानवरों का और ५९०८० सापों का नाश किया गया ।' इतने द्रव्य व्यय और इतने जीवों की हिंसा का परिणाम क्या निकला ? यह देखिये | जिस वर्ष में अर्थात् १९२७ में १४०२५० रु० जंगली जानवरों और सांपों को मारने में खर्च किये गये, उसी वर्ष में जंगली जानवर और सांपों के कारण २१३५४ मनुष्य की मृत्यु हुई,. जिसमें २२८५ मनुष्य बाघ आदि जंगली जानवरों ने मारे और १९०६६ सांपों के कारण मरे । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat 41 www.umaragyanbhandar.com
SR No.035233
Book TitleSamayik Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthmala
Publication Year1953
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy