________________
D
समर
aDEO:
a
-
---
-
-
--
न
- -
-
-
-
-
श्रद्धेय, परमयोगी, शान्तमूर्ति, निस्पृही, ... सद्गत गुरुवर्य श्रीरत्नविजयजी महाराज आपने मुझ भ्रमित को सद्मार्ग बताकर
उन्नत पथका पथिक बनाया . श्राप ही की पवित्र सेवामें
मेरी यह नगण्य कृति भक्ति, आदर और श्रद्धापूर्वक
समर्पित है।
-
-
Wioswou
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
अनुचर, मुनि ज्ञानसुन्दर.
-
--
- emama
- -
deated
-
-
-
-
-
-
-
-
---
--
-
-
- --..
- -
-
-
-
-
-
--
-
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com