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(२.५) हानिकारक कुरूढ़िएँ कब मिटेंगी ?
भाज सभ्यता के जमाने में प्रत्येक सुधारक के हृदय में हानिकारक कुरूदिएँ खूब खटकने लगी हैं इन को निर्मूल करने का आन्दोलन भी खूब जोर शोर से किया और कर रहे हैं , फलस्वरूप कई सुधार हुए पर खेद है कि हमारी मरूभूमि , में कई ऐसे भी ग्राम हैं कि जहाँ अविद्या के कारण :
इस की हवा का स्पर्श तक भी नहीं हुमा, मारवाड़ के गाँवों में अच्छे २ घराना की बहन बेटियें मैदान में ढोल पर नाचती हैं और निर्लज्ज-खराब गीत तो इस कद्र गाती हैं कि सभ्य पुरुषों को सुनते ही शरमाना पड़ता है इन कुरुदिनों को मिटाने के लिये ही हमने हाल ही में कई पुस्तकें प्रकाशित
करवा के उनका प्रचार किया है जिस से अच्छा सुधार हुआ है । अतएव प्रत्येक समाज सुधारक को चाहिये कि इन पुस्तकों को
सस्ते भाव से मंगवा के खूब प्रचार करे ।
१ शुमगीत भाग पहला मूल्य दो पैसा १०० नकल का रु. २) १२ , , दूसरा , तीन पैसा , , रु. ४) ३ , , तीसरा , , , , रु. ४) झान प्रभावना के लिये जल्दी ही मंगा लीजिये।
. मिलने का पता:जैन ऐतिहासिक ज्ञान भण्डार
जोधपुर ( मारवाड़)
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