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________________ के आचार्य भी प्रतिष्टा के समय उपस्थित थे उनके नाम तथा ऐतिहासिक काल का भी उल्लेख कर दिया गया है और अंत में समरसिंह के वंशजों का भी प्राप्य वर्णन इस ग्रंथ में जोड़ा गया है । इस ऐतिहासिक ग्रंथ को लिखने का हेतु प्रकट कर मैं इस भूमिका को समाप्त करता हूँ। जैनश्वेताम्बर कान्फ्रन्स बंबई के मुखपत्र 'जैन युग' के प्रथम वर्ष के अंक संख्या ३, ५, ७ और ८ में साक्षर श्रीयुत् लालचंद भगवानदास गांधी बड़ौदानिवासी का 'तिलंग देश का स्वामी समरसिंह' शीर्षक धाराप्रवाह लेख प्रकाशित हुआ था जिस को पढ़ने से मेरी रुचि इस ओर बढ़ी और मेरी इच्छा हुई कि यह लेख ज्यों का त्यों गुजरातो से हिन्दीभाषा में अनुवादित कर हिन्दीभाषा-भाषियों के समक्ष उपस्थित किया जाय जिससे हिन्दी संसार को सुविधा हो तथा मारवाड़ के ऐतिहासिक पुरुषों का चरित्र प्रकाश में आवे । मुझे इतने पर ही संतोष नहीं था, मैं इस खोज में था कि यदि समरसिंह की जीवनी पर प्रकाश डालने वाले मूल ग्रंथ प्राप्त हो जावें तो उत्तम हो। इधर संयोग भी शुभ मिल गया । पाटण के भंडार से 'नाभिनंदनोद्धार प्रबंध' नामक ग्रंथ प्राप्त हुआ जिसे साक्षर हर्षचन्द भगवानदास अहमदाबादवालोंने मूल गुजराती अनुवाद सहित प्रकाशित कराया है। साथ में ऊपर लिखी हुई सामग्री भी मिल गई जिस से प्रस्तुत ग्रंथ को लिखने में मुझे विशेष सुविधा हुई। अतः मैं बड़ौदानिवासी गांधीजी का मामार मानता हूँ इतना ही Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035229
Book TitleSamarsinh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1931
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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