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तिवरी, छोटी सादड़ी, गंगापुर, अजमेर, बीकानेर, कालू और सोजत में चातुर्मास करके मुनि महाराजने जनता का असीम उपकार किया है।
मुनिश्री रातदिन साहित्यप्रचार, धर्मप्रचार और समाजसुधार का प्रयत्न करते रहते हैं । आपकी ऐतिहासिक विषय में कितनी रुचि है यह आपको इस पुस्तक के पढ़ने से ही पता चल जावेगा। मुझे पिछले दो वर्षों से मुनिश्री से काफी सम्पर्क रहा है इस अर्से में मैंने ऐसे ऐसे अनुपम गुण आपश्री में देखे हैं जिनका विस्तृत वर्णन इस संक्षिप्त परिचय में मैं नहीं कर सकता। . . . हमें इस बात का विशेष गौरव है कि ऐसे महापुरुष का जन्म हमारे मरुधर प्रान्तं में हुआ है। हमारी यह हार्दिक अभ्यर्थना है कि सदा इसी प्रकार आपश्री द्वारा हमारी समाज का निरन्तर उपकार होता रहे । आपके दिव्य सन्देश से मरुस्थल पूर्णतया अाभारी है। हम भूले भटके अशिक्षित ज्ञान. में पिछड़े हुए मरुधरवासियों के लिय आप पथप्रदर्शक एवं सर्वस्व प्रदीप गृह हैं ।
[हरिगीतिका छंद ] मुनि ज्ञान के उपकार का, आभार हम पर है महा ।
अनुभव रही कर आत्मा, पूरा नहीं जाता कहा । साहित्य के परवार से, है लाभ अनुपम हो रहा ।
___ इस देश मरुधर में 'विनोदी ज्ञान का दरिया बहा ॥
ता.. १४५-३१ टीचर्स ट्रेनिश स्कूल,
जोधपुर
भवदीय-चरणकिंकर श्रीनाथ मोदी “ विशारद ".
निरीक्षक.
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