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________________ प्रश्नोत्तर आठमो ७१ ( तथा भरतर लेह अ. १ मोस १५, २. २ मोल १८ भो ) १५ प्रश्न - तथा खरतर पडिकमणा ठावतां तथा काउसग्ग आवश्यक करतां १ करेमि भंते ! कहइ अनइ पडिक्कम आवश्यक करतां ३ करेमि भंते ! कहीयइ, ते स्युं ? ભાષા:-ખરતર પડિકના ટાવતાં તથા કાઉસ્સગ્ગ આવશ્યક એક अने पडिउभा (हित्तु) आवश्य भि लते हे, ते शु ? तत्रार्थे - नवकार सहित जिहां करेमि भंते ! कहियइ तिहां शास्त्रनइ न्यायइ ३ नवकार ३ करेमि भंते! कहियइ, तपानइ पुरिण पडिकमणा आवश्यक करतां १ नवकार १ करेमि भंते ! कहइ अनइ पडिकमणा ठावतां वली काउसग्ग आवश्यक करतां १ नवकार न कहइ ते स्युं ? काउसग्ग आवश्यकनइ नवकार कहीजता हक् त तिहां करेमि भंते ! पिण कहीयइ तथा एक [ए पुणि] चिचारियइ पच्चक्खाण पारतां १ नवकार कहियइ छइ करेमि भंते ! न कहीयइ, एवंकारइ नवकार पखइ करोम भंते ! १ कहियइ तिम पडिकमणइ ठावतां तथा काउसग्ग नाम आवश्यक करता नवकार न कहीयइ, वली तपांरइ राती पोसहता रातई सूवतां ३ नवकार ३ कमेमि भंते ! कहइ तथा श्रावकांनइ चउथउ व्रत उचरावतां ३ वार व्रत उचरावइ तथा यतिनइ महाव्रत उचरावतां ३ वार (महा) व्रत उचरावइ, तउ श्रावकांनइ सामायिक व्रत १ वार उचरावर ते स्युं ? तथा यति जड़ पा (खी) सूत्र गु (भ) - गावतां ३ नवकार कहइ तर श्रावक पाखीसूत्र ( नइ ठामइ) वंदित्त गुणावतां ३ नवकार न कहइ ते विचारिवउ || १५|| Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035209
Book TitlePrashnottar Chatvarinshat Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherPaydhuni Mahavir Jain Mandir Trust Fund
Publication Year1956
Total Pages464
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size24 MB
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