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प्रश्नोत्तर त्राणुमो
२८५ वीयइ छइ अम्हाग्इ 'उग्घाडा पोरिसी' कही भणावीयइ छइ, परं पच्चक्खाणभाष्यमाहि-माहुवयण उग्घाडा पोरसी' इम ३ ह्या छइ, ते तुम्हे हठना वाह्या जइ गुरुना कह्या नथी मानता तर अम्हारा कह्या किम मानिस्य ? अर्थपौरुषीना खोटा आडम्बर करी उपासरामांहि श्रावक श्राविकांरा मेला थाइ छड़, घणा असमंजस थाता सांभलीयइ छइ, अन्इ जइ तुम्हारइ दीहई अर्थपौरुषीनइ भणाविवा भणी वीज उ शब्द नथी तउ ए प्रश्न तुम्हे कर्य उ ते स्युं ? परमार्थइ 'उग्घाडा पोरिसी' तथा 'बहुपडिपुण्णा पोरिसी' ए बिहुं शब्दनउ ए अर्थ-जे सूत्र पौर.षी पूरी थइ छइ । वली तुःहारा भगवन् दीइ अर्थपौरुषी भणावीनइ यतियां भणी किसी राथानउ अर्थ कहइ छइ ? 5 राति गुरु कन्हालि यति गाथा वखाणावइ ए बात पूछीनइ माबती करीज्यो, ए वात नउ आडम्बर घणउ कराइछइ पुण उनग्नी वेलायई जणाम्यइ । अपरं राति अर्थपौरुषी मांझलिवान्इ मिसई भाई क श्राविका पुणि श्रावती सांभलीयइ छइ ऊंची नीची रही अर्थपौरुषी सांभलइ छइ, क्ली तिहां मोटा पदिक भागलि अर्थपौरुषीना मेलावा करतां भला मूंडा मनुष्य जाणिवानइ काजि कर्या दीवानइ योगिइ अग्निकायनउ आरम्भ महानिषिद्ध जे छज्जीवनिकायना महाशस्त्रभृत, ते थाइ छइ. तपांनी पोमालि ए महारम्भ नथी, ऋषमतीयांनइ पिण हिवणां श्रीहीरविजयसूरिनइ परिवारमांहि ए अनर्थ प्रवर्तड छइ, परं दृष्टिगगना वाह्या तु.हां सितधार्थीि पुणि देखता नथी, डाहा थकाई इहां भोला थाउ छ उ, ए गच्छवासीयां तियां माह Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com