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________________ प्रश्नोत्तर तेत्रीसमो १२१ ભાષા:-ખરતર સંપ્રદાયમાં જિનપ્રતિમાની પૂજા સ્ત્રી ન કરે. તે શું? तत्रार्थे --देहरइ मूलनायक जिनप्रतिमानी मध्यमवय वर्तमान स्त्रीनइ विलेपनरूप अंगपूजा कालनइ योगइ श्रीजिनदत्तमूरि युगप्रधानइ लाभ छह 3 (2) जाणी निषेधी छइ, बाल कवय वृद्धवय वर्तमान सुविचारी स्त्रीनइ विलेपननी पूजा श्रीमूल नायक जिन प्रतिमानी निषेधी नथी, अनइ मध्यम वय स्त्रीनइ पुणि अवमरइ अंगपूजा पवइ बीजी अष्टप्रकारी पूजा गीत नाटक धूप दीप नैवेद्य फल जल चैत्यवंदना प्रमुख पूजा निषेधी नथी, महु स्त्री घरि घरि पाटलीपुरनी पूजा वासक्षेप करी करइजि छइ, घणी जीभ बाहतां गुण नथी. जे लिख्या – 'पुरुष थकी २७ गुणी अनइ २७ अधिक स्त्रीनइ पूजाना अंतराय कीधा' ते घणुं असंबद्ध अनार्य वचन बोल्यउ छइ ते(जे)भणी वैद्य तापवंत मनुष्यनइ जइ घी लेवउ निषेधइ तर ते स्युं अंतरायी कहीस्यइ ? ते महा उपगारी, तेहनइ मांद निव| पछी माता पिता तेहना उपगार मानी दान देई बहु मानइ, ए दृष्टांत इहां विचारिवउ, वली तीर्थकरे पुरुषां थकी २७ गुणी सत्तावीस अधिक स्त्रीनइ जे गोप्य सिद्धांत भणिवा वार्या तउ स्युं तीर्थंकर तेह सर्व स्त्रीनइ ज्ञानांतरायी थया ? सहू सरीखी पुणि नथी, परं प्रवृत्ति दोष वाग्विइ करी तेहनइ हितूआ थाइ तिम ए भयां प्रवृत्ति दोष वारिवा भणी हितकारी जाणिवा, एतलइ पुरुष थकी सत्तावीम गुणी स्त्रीनइ पूजांतरायना दोष तुम्हे विरते थके कह्या हता ते दोष फोक थया जाणिवा, घणी जीभ वाहतां लबाड लबाड तेहनइ सहू कहिस्यइ, जीए Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035209
Book TitlePrashnottar Chatvarinshat Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherPaydhuni Mahavir Jain Mandir Trust Fund
Publication Year1956
Total Pages464
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size24 MB
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