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________________ *६६ * * प्रबन्धावली विशेष श्रद्धा भी थी। धार्मिक विषय पर उनकी बनाई हुई 'बावनी', 'प्रेमरास' आदि रचनाएँ मिलती हैं। 'लाहोर की गज़ल' उनके दूसरे काव्य का पता मिला है। 'गोरा वादल की कथा' को अन्य प्रतियों की खोज में मैं बराघर रहा। मेरी प्रति संवत् १७८० की लिखी हुई है; परन्तु कई स्थानों में उसके कुछ अंश नष्ट हो गये हैं। बीकानेर से श्री भंवरलाल जी ने राजपूताने के कोटा शहर में सं० १७५२ की लिखी हुई एक प्रति मुझे भेजी थी, जिसकी नकल मेरे पास है। कलकत्ता विश्वविद्यालय के भूतपूर्व डिंगल के अध्यापक जोधपुर निवासी पं. रामकर्णजी ने एक पुरानी प्रति की नकल स्वहस्त से लिखकर भेजी है। इस में कोई लिखन संवत् नहीं है। गत वर्ष जब में अखिल भारतवर्षीय ओसवाल महासम्मेलन के अवसर पर अजमेर गया था, उस समय सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक विद्वान् महामहोपाध्याय राय यहादुर पं० गौरीशंकर ओझा ने मुझसे कहा था कि बीकानेर-स्थित डूंगर-कालेज के अध्यापक पं. नरोत्तमदास जी जटमल-रचित 'गोरा धादल को कथा' का सम्पादन कर रहे हैं। कवि जटमल नाहर गोत्र के महाजन थे, इसलिये आप के पास उनके विषय में जो कुछ सामग्री हो, उनको भेज दें, तो इस कार्य में उन्हें विशेष सहायता मिलेगी। मैंने इसे सहर्ष स्वीकार कर अपने पास उनके विषय में जो सामग्री थी, उन्हें भेज देने को कहा। ओझा महोदय ने उनको मुझ से पत्रव्यवहार करने को लिख दिया। कलकत्ते लौटने पर मुझे यथासमय अध्यापक नरोत्तमदास जी का पत्र मिला, जिस का आवश्यक अंश यहां उद्धृत हैं : “मैं अपने दो सहयोगियों (बीकानेर राज्य के शिक्षा विभाग के डाइरेक्टर ठा० रामसिंह जी तथा पिलानी के विड़ला-कालेज के पाइस्प्रिन्सिपल पं० सूर्यकरण जो पारीक) के साथ प्रसिद्ध जटमल-रचित 'गोरा बादल री बात' नामक ग्रन्थ का सुजम्पादित सटीक संस्करण तैयार कर रहा हूं। राजस्थान के विभिन्न स्थानों से कई हत्त-लिसित Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035203
Book TitlePrabandhavali - Collection of Articles of Late Puranchand Nahar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherVijaysinh Nahar
Publication Year1937
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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