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*प्रबन्धावली.
सो सुदन्य निज खर्च करि, सुरनर मुनि सुखहेतु । गजगृही सुम तीर्थ महँ, बांधे भवनिधि सेतु ॥ ४ ॥ कुण्ड सप्तधाग विरचि, सप्त मुनिन को स्प। रवि नवीन मन्दिर रूविर, स्थापे सब मुनि भूप ॥ ५॥ वेद गगन अरु ग्रह ससि (शशि) हिं, सुभ संवत अनुमान । ज्येष्ठ सु(शुक्ल तिथि द्वादसो (शो), सप्तधार निर्मान ॥ ६ ॥ सम्बत १९०४ ज्येष्ठ सु(शुक्ल द्वादसी (शो)
लिखा नौबतलाल आत्मज बावू सीताराम ।
नोट-लेखक को वैभारगिरि के उत्तर दिशा में सरस्वती की धारा पर 'वेणीमाधव' के मन्दिर के नीचे वायू सीताराम का बंधाया हुवा जो पक्का घाट है उसकी दाहिनी ओर श्याम पाषाण में खुदा हुवा ५ पंकियों का लेख मिला है, वह इस प्रकार है:
१ सीताराम बासिंदा २ मोजे वकसंडा प्रगनाह ३ पंचरुषी जीला गया सम्बत् ४ १९२५ मोतावि (क ) सन् १२७५ ५ साल
'नागरी प्रचारिणी पत्रिका' (नवीन संस्करण, सं० १९८३ भाग . संख्या ४ पृ० ४७७-४७६) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
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